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सबसे कम उम्र के ट्रैकर बने चेतन

संवाद सूत्र, मुनस्यारी : तेरह वर्षीय चेतन सबसे कम उम्र में नंदा देवी बेस कैंप और मिलम ट्रैक की ट्रै

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Oct 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 28 Oct 2017 03:00 AM (IST)
सबसे कम उम्र के ट्रैकर बने चेतन
सबसे कम उम्र के ट्रैकर बने चेतन

संवाद सूत्र, मुनस्यारी : महज तेरह वर्ष की उम्र में चेतन बृजवाल ने 41 सौ मीटर ऊंचे मिलम क्षेत्र की ट्रैकिंग कर कीर्तिमान स्थापित किया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के ट्रैकर बने। चेतन ने 11 दिनों में 154 किमी की ट्रैकिंग की। उन्हें इंग्लैंड के ट्रैकिंग दल में ट्रांसलेटर के रूप में शामिल किया गया था।

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15 अक्टूबर को ब्रिटेन के एक्सोडेस कंपनी के तत्वावधान में आठ विदेशी सदस्यों का ट्रेकिंग दल मुनस्यारी से नंदा देवी बेस कैंप और मिलम ट्रैक पर गया था। यह दल 27 अक्टूबर को मुनस्यारी लौटा है। इस ट्रैकिंग दल के साथ विवेकानंद विद्या मंदिर मुनस्यारी में आठवीं के छात्र चेतन बृजवाल को ट्रांसलेटर के रूप में भेजा गया था। ट्रैकिंग के दौरान चेतन ने विदेशी ट्रैकरों का खूब दिल जीत लिया। मुनस्यारी लौटने पर चेतन का स्वागत किया गया। ट्रैकिंग के प्रशासनिक रिकार्ड के अनुसार इस ट्रैक पर इससे पहले सबसे कम उम्र में ट्रैकिंग का रिकार्ड पश्चिम बंगाल के हुगली जिला निवासी 14 वर्षीय तरुण भट्टाचार्य के नाम था। तरुण ने तीन वर्ष पहले ट्रैकिंग की थी।

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अब तक 14 वर्षीय बंगाल निवासी तरुण के नाम था रिकार्ड

नंदा देवी बेस कैंप ट्रैक को तीन वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल के हुगली जिला निवासी 14 वर्षीय तरु.ण भट्टाचार्य ने किया था। अब तक इस ट्रैक तरुण भट्टाचार्य के पास था। वह अपने माता-पिता के साथ ट्रैकिंग पर गया। अब यह रिकार्ड मुनस्यारी के चेतन बृजवाल के नाम हो चुका है।

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हिमालय बचाने की ट्रैकरों को दिलाई शपथ

4000 मीटर की ऊंचाई पर ट्रैकरों को नंदा देवी परिक्षेत्र में हिमालय बचाने की शपथ भी दिलाई। 13 वर्ष के चेतन हिमालय की संवेदनशीलता से परिचित है। उसने विदेशी ट्रैकरों को बेस कैंप क्षेत्र में सफाई अभियान चलाने को प्रेरित किया और शपथ दिलाई।

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विद्यालय में हुआ सम्मान

चेतन का मुनस्यारी पहुंचने पर विवेकानंद विद्या मंदिर इंटर कालेज में सम्मानित किया गया। प्रधानाचार्य भगत सिंह बोहरा ने चेतन सहित उसके माता पिता विरेंद्र बुग्याल और नीतू बृजवाल को सम्मानित किया। इतनी कम उम्र में दुर्गम ट्रैक को पार करने वाले चेतन का लक्ष्य पर्वतारोही बन कर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सागरमाथा पर फतह की है। चेतन पूर्व में ही राम गंगा नदी में रीवर राफ्टिंग और कयाकिंग का प्रशिक्षण लेकर दक्ष हो चुका है। जबकि मुनस्यारी में वह रॉक क्लाइबिंग का भी प्रशिक्षण ले चुका है। उसके पिता विरेंद्र बृजवाल टूर एवं ट्रेवल कंपनी चलाते हैं। जिसके चलते चेतन की बचपन से ही रुचि इस दिशा की तरफ हो गई है।


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