पिथौरागढ़ के पुराना बाजार में मुस्लिम बांधते हैं चीर और बजाते हैं होली का ढोल
पिथौरागढ़ के पुराना बाजार में मुस्लिम समाज के लोग सौहार्दपूर्ण तरीके से होली पर्व मनाते हैं।
पिथौरागढ़, जेएनएन : एक शताब्दी से भी अधिक पुरानी पिथौरागढ़ पुराना बाजार की होली साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। यहां हिदू होली गाते हैं तो मुस्लिम ढोल पर थाप देते हैं। देश में कई बार साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने के बावजूद इस होली में कभी कोई असर नहीं पड़ा।
करीब 200 वर्ष पूर्व पिथौरागढ़ नगर का पहला बाजार पुराना बाजार में ही बसना शुरू हुआ। बाहर से आई मीर फैमिली के लोगों ने यहां दुकानें शुरू की, धीरे-धीरे स्थानीय लोगों ने भी कारोबार शुरू किया और बाजार अस्तित्व में आ गया। बाजार के मुख्य चौक पर एक शताब्दी पूर्व लोगो ने होली आयोजन शुरू किया, जिसमें मीर परिवार के लोग भी शामिल हुए। इसी बाजार में शहर की जामा मस्जिद भी है जो होली आयोजन स्थल से लगी हुई है। मीर परिवार की पांचवीं पीढ़ी अब यहां कारोबार कर रही है और आज भी इस परिवार के लोग पूरे उत्साह होली आयोजन में भागीदारी करते हैं। पूर्व में स्व.मीर वजीर अली, स्व.अफजल अली, अख्तर अली, बाहर अली, सलीम खान होली में भागीदारी करते रहे आज की पीढ़ी के युवा सिकंदर अली, तोहराब अली होली में चीर लगाने से लेकर ढोल वादन कर रहे हैं। समाजसेवी सुनील वर्मा का कहना है कि पुराना बाजार की होली साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल रही है। यह आयोजन पिथौरागढ़ जिले की बड़ी विरासत है। ======= मथुरा से लाई गई थी चीर पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ की होली का कोई लिखित इतिहास नहीं है। माना जाता है एक शताब्दी पूर्व मथुरा से यहां चीर लाई गई। तब से यहां चीर लगाने की पंरपरा शुरू हुई। पूर्व में आस-पास के गांवों से भी लोग होली गायन के लिए पुराना बाजार पहुंचते थे, अब इसमें कमी आ गई है। बाजार के लोग ही यहां होली गायन करते हैं।