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जलागम परियोजना ने बदली रामगंगा नदी घाटी के ग्रामीणों की तकदीर, घरों में मशरू म उत्पादन कर कमा रहे हजारों

जलागम परियोजना-2 ने मशरू म उत्पादन से पिथौरागढ़ जिले के रामगंगा नदी घाटी के ग्रामीणों की तकदीर बदल दी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 11:06 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 11:06 PM (IST)
जलागम परियोजना ने बदली रामगंगा नदी घाटी के ग्रामीणों की तकदीर, घरों में मशरू म उत्पादन कर कमा रहे हजारों
जलागम परियोजना ने बदली रामगंगा नदी घाटी के ग्रामीणों की तकदीर, घरों में मशरू म उत्पादन कर कमा रहे हजारों

थल (पिथौरागढ़), अर्जुन सिंह रावत : उत्तराखंड जलागम परियोजना-2 ने मशरू म उत्पादन से रामगंगा नदी घाटी से लगे कई गांवों के ग्रामीणों की तकदीर बदल दी है। जहां कच्चा मशरूम 180 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है वहीं दस किलो कच्चे मशरूम से चार किलो सुखा मशरूम तैयार किया जा रहा है। जो प्रतिकिलो 15 सौ प्रतिकिलो बिक रहा है। इस तरह काश्तकार तिगुनी आमदनी कर रहे है। परियोजना के तहत ग्रामीणों को मशरू म उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मशरू म उत्पादन के क्षेत्र में युवाओं का भी रुझान बढ़ रहा है। कम समय के साथ कम लागत से मशरू म की खेती कर लोगों को घर बैठे जहां अच्छा रोजगार मिल रहा है, वहीं इससे पहाड़ से पलायन भी रुक रहा है।

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पहाड़ में पलायन रोकने व स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उत्तराखंड जलागम परियोजना-2 द्वारा रामगंगा नदी घाटी क्षेत्र के दाफिला, बलतिर, घटीगाड़, नाचनी के ग्रामीणों को मशरू म की खेती का प्रशिक्षण दिया गया था। उत्पादकों को परियोजना के एबीएसओ गोचर द्वारा मशरू म के निश्शुल्क बीज, फार्मोलिन उपलब्ध कराए गए। उत्पादकों ने अपने घरों के कमरों में मशरू म का उत्पादन करना शुरू किया। मात्र दो माह में ही मशरू म की खेती तैयार हो गई। अठखेत निवासी पुष्कर सिंह रावत, बलतिर के गणेश राम, नाचनी के दिनेश जोशी, खेत भराड़ के मनोज राणा, घटीगाड़ के रामानंद, बांसबगड़ के हरीश जोशी ने बताया कि उनके द्वारा 100 बैग में 200 किलो मशरू म का उत्पादन किया गया। जो प्रतिकिलो 180 के हिसाब से बिक रहा है। महज एक माह के भीतर उन्हें 36000 की आय अर्जित हुई। उत्पादकों का कहना है कि साल में दो बार यहां पर मशरू म का उत्पादन किया जा रहा है और इसे आसानी से बाजार उपलब्ध हो रहा है। ======= क्या कहते हैं उत्पादक- मशरू म आजीविका का सबसे अच्छा साधन है। मशरू म को पूर्ण आहार माना जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। पहाड़ों में घर-घर में मशरू म आसानी से उगाया जा सकता है। उत्पादक घर बैठे अपनी आमदनी आसानी से बड़ा सकते हैं।

-रामानंद जंगपांगी, उत्पादक घटीगाड़। ======== मशरू म उत्पादन कम समय में तैयार हो जाता है। रोजगार के लिए दर-दर भटकने वाले युवाओं के लिए यह स्वरोजगार का बेहतर माध्यम है। कोई भी व्यक्ति कम से कम लागत से अपने घर में इसका उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर सकता है। -गणेश राम, उत्पादक बलतिर। ====== मशरू म उत्पादन के लिए न तो खेत की जरू रत होती है और न ही मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है। घर के अंदर कमरे में विभिन्न किस्म के मशरू म का उत्पादन किया जा सकता है।

-मनोज राणा, उत्पादक खेत भराड़। ======== बोले अधिकारी- कुटीर उद्योग से उत्पादकों को अभी डिंगरी (आइस्ट) प्रजाति की मशरू म का उत्पादन निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया गया है। गांवों में अन्य उत्पादकों को भी इसकी जानकारी दी जाएगी। घरों में मशरू म उत्पादन के लिए किसी अनुकूल वातावरण व न ही महंगे उपकरणों की आवश्यकता है।

- सुरेश चंद्र मोर्या, जिला कृषि अधिकारी, ग्राम्या। ======= मशरू म उत्पादन से उत्पादकों की आय में बढ़ोतरी होगी और पहाड़ों में रोजगार के साथ पलायन पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर कच्चे मशरू म की कीमत 180 रु पये प्रतिकिलो है और सूखाने के बाद यह 1500 रु पये प्रतिकिलो बिकता है। करीब दस किलो कच्चे मशरूम से चार किलो सुखा मशरूम प्राप्त होता है।

- हमेंद्र नेगी, एबीएसओ गोचर।


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