पिथौरागढ़ के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में चीन की तकनीक से तैयार होगी खाद
त्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में नवनिर्मित सीवरेज सिस्टम के ट्रीटमेंट प्लांट में चीन की तकनीक इस्तेमाल कर खाद बनाई जाएगी।
पिथौरागढ़, रमेश गढ़कोटी : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में नवनिर्मित सीवरेज सिस्टम के ट्रीटमेंट प्लांट में पड़ोसी देश चीन की तकनीक का इस्तेमाल होगा। बायोलॉजिकल टेक्नीक से सीवरेज का शत प्रतिशत शुद्ध शोधन होगा। दुनिया भर में उपयोग की जा रही इस तकनीक से पर्यावरण पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा। चीन से आयातित इस तकनीक का परीक्षण शुरू हो गया है।
पिथौरागढ़ नगर में लगभग 50 करोड़ की लागत से बने सीवरेज सिस्टम का प्रथम चरण तैयार हो गया है। सीवेरज सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ट्रीटमेंट प्लांट निराड़ा गांव के नजदीक बनाया गया है। गधेरे के नजदीक बने इस प्लांट से दूषित पानी गाड़ गधेरों के जरिए नदियों तक पहुंचने के साथ ही आस-पास के पर्यावरण के प्रदूषित होने की आशंका जताई जा रही है। पर्वतीय क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण की आशंका को खत्म करने के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ ट्रीटमेंट तकनीक सीवर प्लांट में लगाई गई है। चीन की सीटेक द्वारा विकसित इस तकनीक के दो चरण हैं। पहले चरण में ठोस अवयय को कीड़ों की मदद (बायोलॉजिकल तकनीक) से विभिन्न अपघटकों में तोड़कर खाद तैयार की जाएगी। शेष बचे दूषित तरल को दूसरे चरण में शुद्ध किया जाएगा। जिससे गधेरे में छोड़ा जाएगा। इससे तरल से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। भारत के मुंबई राज्य में इस तकनीक का उपयोग सफलता पूर्वक हो रहा है। आठ करोड़ की लागत से खरीदी गई इस तकनीक का परीक्षण ट्रीटमेंट प्लांट में शुरू हो गया है। कॉपीराइट एक्ट के तहत इस तकनीक का पेटेंट चीन के पास है। ======= खाद बेचकर होगी आमदनी पिथौरागढ़: निराड़ा गांव में स्थापित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 6.5 एमएलडी है। शोधन से प्लांट में हर माह आठ से दस क्विंटल तक खाद तैयार की जाएगी। इससे स्थानीय काश्तकारों को उपलब्ध कराने के साथ ही जनपद से बाहर भी भेजा जाएगा। इससे सरकार को अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होगा। ==== सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में चीन की सीटेक तकनीक का उपयोग शोधन कार्य के लिए किया जाएगा। ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए कम से कम 3.50 एमएलडी सीवेरज की जरू रत होगी। आयातित तकनीक का परीक्षण शुरू हो गया है। जल्द ही प्लांट को शुरू कर दिया जाएगा।
- रंजीत सिंह धर्मशक्तू, अधिशासी अभियंता, पेयजल निगम