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चीन सीमा से लगी दारमा घाटी के दर गांव में बिना बारिश और हिमपात हो रहा भूस्खलन, गांव के हालात जोशीमठ जैसे

पहाड़ से लगातार पत्थर गिरने से दर गांव के घटखोला तोक में दहशत बनी है। ¨चता की बात यह है कि दर के हालात भी जोशीमठ जैसे हैं। यहां 1970 से ही धंसाव हो रहा है। 1970 की आपदा में दर गांव धंस गया था।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Wed, 08 Feb 2023 11:53 PM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2023 11:53 PM (IST)
चीन सीमा से लगी दारमा घाटी के दर गांव में बिना बारिश और हिमपात हो रहा भूस्खलन, गांव के हालात जोशीमठ जैसे
दर गांव में बिना वर्षा और हिमपात के ही भूस्खलन होने लगा है।

पिथौरागढ़, जेएनएन। चीन सीमा से लगी दारमा घाटी के दर गांव में बिना वर्षा और हिमपात के ही भूस्खलन होने लगा है। पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से एक महिला गंभीर घायल हो गई। पहाड़ से लगातार पत्थर गिरने से दर गांव के घटखोला तोक में दहशत बनी है।

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चिंता की बात यह है कि दर के हालात भी जोशीमठ जैसे हैं। यहां 1970 से ही धंसाव हो रहा है। समुद्र तल से लगभग सात से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर बसे दर गांव के घटखोला तोक में में बुधवार शाम से पहाड़ी से भूस्खलन होने लगा।

बिना वर्षा और हिमपात के ही भूस्खलन होने से ग्रामीण भयभीत

इस दौरान जानवरों के लिए चारा लेने गई 47 वर्षीय किरोली देवी एक पत्थर की चपेट में आ गई और पत्थर के साथ लुढ़कती हुई कुछ मीटर नीचे जा पहुंची। ग्रामीण कल्याण नेगी और कमल सिंह ने बताया कि पहाड़ की तरफ से लगातार पत्थर गिर रहे हैं।

बीते दिनों हल्का हिमपात हुआ है। जबकि अन्य वर्षो तक इस सीजन वहां बर्फ जमी रहती थी। बिना वर्षा और हिमपात के ही भूस्खलन होने ग्रामीण भयभीत हैं। वर्ष 1970 की आपदा में दर गांव काफी धंस गया था और 52 परिवार मकान विहीन हो गए थे। तब सरकार ने गांव के 52 परिवारों को सितारगंज में पुनर्वासित किया था।

2021 में गांव में जमीन के अंदर से फूटने लगे थे स्त्रोत

दर गांव की स्थिति जोशीमठ जैसी ही है। वर्ष 2021 में दर गांव से होकर गुजरने वाला तवाघाट-सोबला- दारमा मार्ग चार माह से अधिक समय तक बंद रहा। सड़क के निकट भूगर्भ से पानी के स्त्रोत फूटने से मार्ग इस कदर ध्वस्त हुआ कि सीपीडब्ल्यूडी को मार्ग खोलने में चार माह से अधिक समय लग गया था।

गांव में दो दर्जन से अधिक मकानों में भारी दरार आ गई थी कुछ मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। भू विज्ञानियों का दल गांव पहुंचा था और इसे बेहद संवेदनशील बताते हुए इसके पुनर्वास और विस्थापन की संस्तुति की थी। गांव विस्थापन की सूची में शामिल है। 

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