Move to Jagran APP

कैलास मानसरोवर यात्रा में होगा रोमांच, ग्लेशियरों का भी होगा दीदार

इस बार यदि वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल किया गया तो कैलास मानसरोवर यात्रा सुगम और सुखद होगी। साथ ही यात्रा में रोमांच बढ़ेगा। यही नहीं रास्ते में कई ग्लेशियरों के भी दीदार होंगे।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 08:33 AM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 11:19 PM (IST)
कैलास मानसरोवर यात्रा में होगा रोमांच, ग्लेशियरों का भी होगा दीदार
कैलास मानसरोवर यात्रा में होगा रोमांच, ग्लेशियरों का भी होगा दीदार

पिथौरागढ़, [ओपी अवस्थी]: उत्तराखंड के रास्ते कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग इस बार अब तक दुरुस्त नहीं हो पाया है। स्थानीय प्रशासन वैकल्पिक मार्ग की संभावना भी तलाश रहा है। वैकल्पिक मार्ग से यात्रा अपेक्षाकृत सुगम और सुखद हो सकेगी। इस मार्ग पर यात्रियों को छोटा कैलास के दर्शन के साथ ही कई ग्लेशियरों का भी दीदार होगा।

loksabha election banner

अभी तक कैलास मानसरोवर यात्रा धारचूला की व्यास घाटी से उच्च हिमालयी क्षेत्र में होती है, लेकिन जून से शुरू हो रही यात्रा से पहले यह मार्ग खोल पाना संभव नहीं दिख रहा है। ऐसे में धारचूला की दारमा घाटी के रास्ते यात्रा कराने का विकल्प पर विचार किया जा रहा है।  

नेपाल से रास्ता मांगने से बेहतर विकल्प 

पिछले वर्ष बादल फटने की घटना में कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग लखनपुर से नज्यांग तक (छह सौ मीटर) नेस्तनाबूद हो चुका है। इस स्थान पर पैदल आवाजाही भी संभव नहीं है। नब्बे डिग्री के कोण पर खड़ी चट्टानों को काट कर मार्ग बनाना चुनौतीपूर्ण है। 

कैलास यात्रा से पहले व्यास घाटी के ग्रामीणों का माइग्रेशन भी अपने मूल गांवों के लिए शुरू होने वाला है। इसके लिए भारत-नेपाल के अधिकारियों की एक बैठक एक माह पूर्व हुई थी। जिसमें भारत-नेपाल के अधिकारियों के बीच दो किमी यात्रा नेपाल के रास्ते कराने पर सहमति तो बनी, लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका। 

दरअसल नेपाल से रास्ता मांगने पर काली नदी पर दो स्थानों पर लकड़ी के अस्थाई पुल बनाए जाने की जरूरत थी। पुल बनाने को भारतीय प्रशासन तैयार था, लेकिन नेपाल में शासन स्तर से इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई। ऐसे में दारमा घाटी से रास्ता तैयार करना बेहतर विकल्प हो सकता है। इसका सुझाव भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) ने भी स्थानीय प्रशासन को दिया है।

ग्लेशियरों का भी दीदार

वैकल्पिक मार्ग पर यात्री तिदांग तक वाहन से सफर कर सकेंगे। यात्रियों को पंचाचूली ग्लेशियर से लेकर सिनला पास जैसे ग्लेशियरों के भी दीदार होंगे। कैलास मानसरोवर के दर्शनों से पूर्व यात्रियों को आदि कैलास के दर्शन का अवसर मिलेगा। 

इस मार्ग में कैलास यात्रियों को दोनों उच्च हिमालयी घाटियों (व्यास व दारमा) के दर्शन होंगे और पंचाचूली ग्लेशियर के पास से यात्रा गुजरेगी । तवाघाट से उच्च हिमालयी तिदांग तक मोटर मार्ग तैयार है। व्यास घाटी से जाने पर भी यात्री चौथे दिन गुंजी पहुंचते हैं। वाया दारमा होकर जाने पर भी यात्री चौथे दिन गुंजी पहुंच जाएंगे।

दारमा घाटी से ऐसे पहुंचेंगे गुंजी

व्यास घाटी से होने वाली यात्रा में यात्रियों का पहला पड़ाव सिर्खा, दूसरा गाला, तीसरा बूंदी और चौथा पड़ाव गुंजी होता है। पांचवा अंतिम पड़ाव नावीढांग होता है। दारमा मार्ग से यात्रा होने पर पहला पड़ाव कंच्योती के आसपास करना होगा। दूसरे दिन यात्री छोटे वाहनों से दिन में तिदांग पहुंचेंगे। जहां से पैदल यात्रा प्रारंभ होगी और चार दिन बाद यात्री गुंजी पहुंचेंगे। 

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी दारमा घाटी 

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) की बरेली रेंज के डीआइजी एपीएस निंबाडिया के मुताबिक दारमा होते हुए यात्रा संचालन से उच्च हिमालयी दारमा घाटी को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने का अवसर मिलेगा। यात्रियों को कैलास मानसरोवर के दर्शनों से पूर्व पंचाचूली और आदि कैलास के दर्शन होंगे। 

उन्होंने बताया कि जो यात्रियों के लिए अपने आप में एक अलग रोमांच हो सकता है। स्थानीय प्रशासन और कुमाऊं मंडल विकास निगम व्यास मार्ग नहीं खुलने की दशा पर विकल्प के तौर पर वाया दारमा होते यात्रा का संचालन कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: कैलास मानसरोवर यात्रा में खत्म होंगे सिरखा और गाला पड़ाव

यह भी पढ़ें: बदरीनाथ धाम की सुंदरता पर चार चांद लगाने की तैयारी

यह भी पढ़ें: कण्वाश्रम में सम्राट भरत के जीवन से रूबरू हो सकेंगे सैलानी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.