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कैलास मानसरोवर और आदि कैलास यात्रा हो सकती है एक साथ, वर्ष 2020 तक चीन सीमा लिपूलेख और ज्योलिंगकोंग तक सड़क हो जाएगी तैयार

आइटीबीपी के डीआइजी की माने तो वर्ष 2020 में चीन सीमा और ज्योलिंगकोंग तक सड़क तैयार हो जाएगी अगर सरकार चाहे तो कैलास मानसरोवर व आदि कैलास यात्रा को एक साथ करवा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 11:27 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:12 AM (IST)
कैलास मानसरोवर और आदि कैलास यात्रा हो सकती है एक साथ, वर्ष 2020 तक चीन सीमा लिपूलेख और ज्योलिंगकोंग तक सड़क हो जाएगी तैयार
कैलास मानसरोवर और आदि कैलास यात्रा हो सकती है एक साथ, वर्ष 2020 तक चीन सीमा लिपूलेख और ज्योलिंगकोंग तक सड़क हो जाएगी तैयार

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: वर्ष 2020 में चीन सीमा और ज्योलिंगकोंग तक सड़क तैयार होने वाली है। दोनों सड़कों के तैयार होते ही कैलास मानसरोवर और आदि कैलास यात्रा एक साथ संभव हो सकेगी।

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दोनों यात्राओं के पड़ाव गुंजी तक एक हैं। गुंजी से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग कालापानी, नावीढंाग को जाता है तो आदि कैलास के लिए कुटी, ज्योलिंगकोंग को जाता है। कैलास मानसरोवर यात्री भी वापसी में वाहन से ही आदि कैलास तक पहुंच सकते हैं।

दो बार कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुके आइटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने बताया कि 2020 तक उच्च हिमालय में दोनों सड़कें तैयार हो जाएंगी। ऐसे में केएमवीएन से अनुबंध कर निजी सेक्टर में भी यात्रा का संचालन किया जा सकता है। निगम गाइड और वाहन भी उपलब्ध करा सकता है। इस दौरान उच्च हिमालय के पड़ावों में स्थानीय लोग पौराणिक सामान की बिक्री के लिए हाट लगाकर अपना सामान भी बेच सकते हैं। इससे उनकी आजीविका में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी गांवों में शीतकालीन खेलकूद का आयोजन ग्रामीणों के माध्यम से किया जा सकता है। इससे सीमा क्षेत्र से पलायन भी थमेगा।

निबांडिया ने बताया कि नेपाल के रास्ते 22 से 23 हजार यात्री कैलास मानसरोवर की यात्रा में जाते हैं। मुश्किल से पाच से छह हजार यात्री ही कैलास मानसरोवर की परिक्रमा कर पाते हैं। शेष यात्री तकलाकोट, दार्चिन, जुजुई पू और कुगू से वापस लौट आते हैं। यदि नेपाल की तरह ही भारत में भी कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) सहित प्राइवेट सेक्टर भी संचालित किया जाए और केएमवीएन की तरह ही सुविधा दी जाए तो यात्रियों को कम खर्च, कम समय पर यात्रा का अवसर मिल सकता है। नेपाल के रास्ते कैलास मानसरोवर यात्रा का खर्चा 1.80 लाख से 2.5 लाख तक आता है। भारत में इस तरह से यात्रा कराए जाने से केएमवीएन की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा है कि इस सुझाव पर सरकार स्तर पर विचार किया जा सकता है। सड़क तैयार होते ही पूरी यात्रा वाहनों से हो सकती हैं।


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