जौलजीवी मेले को तैयार भारत और नेपाल
संवाद सूत्र, जौलजीवी: भारत और नेपाल की साझी संस्कृति के प्रतीक जौलजीवी मेले के लिए भारत औ
संवाद सूत्र, जौलजीवी: भारत और नेपाल की साझी संस्कृति के प्रतीक जौलजीवी मेले के लिए भारत और नेपाल दोनों देशों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। व्यापारिकस्टाल और सांस्कृतिक मंच तैयार हो गए हैं। कल से शुरू होने वाले मेले की अगले एक सप्ताह तक रहेगी।
जौलजीवी मेले को शुरू हुए 110 वर्ष से भी अधिक समय हो चुका है। अतीत में इस मेले में भारत और नेपाल के साथ ही तिब्बत के लोग भी भागीदारी करते थे। बाद में तिब्बत से व्यापारियों का आना बंद हो गया, लेकिन भारत और नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक यह मेला लगातार उन्नति की और अग्रसर होता रहा है। पिछले वर्षो तक मेले का मुख्य आयोजन भारत के जौलजीवी में होता रहा जिसमें नेपाल के सांस्कृतिक और आम जनता भागीदारी करती रही। नेपाल में पहली बार लोकतांत्रिक सरकार चुने जाने के बाद इस वर्ष नेपाल ने भी मेले के भव्य आयोजन का फैसला लिया है। भारत की तरह ही नेपाल में भी इस वर्ष व्यापारिक स्टाल बनाए गए हैं। यहां भी हर रोज सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। जिसके लिए मंच तैयार किया गया है। दोनों देशों की जनता में इस साझे मेले को लेकर जबरदस्त उत्साह है। झूला पुल से जुड़ते हैं दोनों देश
जौलजीवी: भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा बनाने वाली विशाल काली नदी पर बना झूला पुल दोनों देशों को जोड़ता है। दोनों देशों के नागरिक इसी पुल से होकर एक दूसरे देश में आते जाते हैं। वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा में यह पुल बह गया था। जिसके स्थान पर नया झूला पुल बनाया गया है। इसी पुल से मेलार्थी भारत और नेपाल के बीच आवागमन करेंगे। चीनी माल की रहेगी धमक
जौलजीवी: पिछले कुछ वर्षो से जौलजीवी मेले में चीनी उत्पाद जूते, जैकेट, रेडीमेट वस्त्रों की खूब बिक्री होती हैं। दर्जनों स्टाल चीनी उत्पाद से भरे रहते हैं। हालांकि भारतीय रेडीमेट माल भी यहां खूब बिकता है। चीन माल काफी महंगा पड़ता है, इसकी तुलना में भारतीय उत्पाद काफी सस्ते होते हैं। सीमांत क्षेत्र के हस्तशिल्प दन कालीन, पंखी, चुटका आदि की भी मेले के दौरान अच्छी बिक्री होती है।