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मतदान में बाधक बनी बहिष्कार की चिंगारी

जागरण संवाददाता पिथौरागढ़ तमाम जागरूकता अभियान के बाद भी आखिरकार पहाड़ के लोगों का

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 11:23 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:13 AM (IST)
मतदान में बाधक बनी बहिष्कार की चिंगारी
मतदान में बाधक बनी बहिष्कार की चिंगारी

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: तमाम जागरूकता अभियान के बाद भी आखिरकार पहाड़ के लोगों का दर्द मतदान के दिन भी छलक पड़ा। मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे ग्रामीणों द्वारा चुनाव का बहिष्कार कर देश के कर्णधारों को स्पष्ट रूप से एक कड़ा संदेश भी दे डाला हैं। अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में यदि मतदान का बहिष्कार नहीं होता तो मत फीसद बढ़ा नजर आता। सम्पूर्ण संसदीय क्षेत्र में 5500 मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया। जो कुल वोटरों का .4़1 प्रतिशत है। बहिष्कार नहीं हुआ होता तो निश्चित रूप से मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी होती।

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अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत 53.30 रहा इस बार यह संभावना जताई जा रही थी कि मतदान प्रतिशत बढ़ेगा, परंतु अंत में 2014 से कुछ कम प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि 2014 की अपेक्षा यहां पर मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। इसके बाद भी मतदान प्रतिशत के नहीं बढ़ने का सबसे बड़ा कारण मतदान का बहिष्कार रहा है। पिथौरागढ़ जिले में ही मतदान का बहिष्कार करने वाले गांवों में भले ही मनाने के बाद मतदान हुआ, परंतु यह मतदान काफी कम रहा। कनार गांव में केवल तीस मत पड़े तो भटभटा गांव में केवल सात मत पड़े। पिथौरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के बांस बूथ के अंतर्गत आने तैलपातल, सल्याड़ी, मालूवेला व अन्य राजस्व गांव के सौ से अधिक मतदाताओं ने भी मतदान का बहिष्कार किया। इसी तरह अन्य कई बूथों पर भी मतदान प्रतिशत कम होना भी कहीं न कहीं उपेक्षा का कारण रहा है। ======== बहिष्कार करने वाले गांवों की संख्या- 14

पिथौरागढ़-- छह

चम्पावत - छह

अल्मोड़ा - एक

बागेश्वर - एक

पिथौरागढ़ के तीन अन्य बूथों पर आंशिक रू प से बहिष्कार हुआ था। =========

सड़क रही बहिष्कार का प्रमुख कारण

पिथौरागढ़ जिले में चुनाव बहिष्कार का प्रमुख कारण सड़क रहा। बहिष्कार करने वाले गांवों में लंबे समय से सड़कों की मांग चल रही है। सड़कों को लेकर ग्रामीण आंदोलन भी कर चुके हैं। एक गांव के लोग तो विस चुनाव का भी बहिष्कार कर चुके थे। इसके बाद भी इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। यह पहला मौका है जब आधा दर्जन गांवों ने चुनाव बहिष्कार कर दिया। ========== पंचायत चुनावों के बहिष्कार के स्वर पिथौरागढ़ तहसील के बांस गांव के चार राजस्व तोकों के सौ मतदाताओं ने तो आगामी पंचायत चुनाव में भी भागीदारी करने से मना कर दिया है। गांव के होशियार नाथ, रामीचंद, दानी चंद, अर्जुन चंद, उमेद चंद का कहना है कि पंचायत द्वारा उनके गांवों की अवहेलना की जाती है। जिसे लेकर अब ग्रामीण अब पंचायती चुनाव में भी भाग लेने वाले नहीं हैं। ग्रामीणों की यह बेरू खी पंचायती राज व्यवस्था के लिए भी खतरे का संकेत है। ========= जिले में 32 गांवों से मतदान बहिष्कार के स्वर उठे थे। प्रशासन 26 गांवों को मनाने में सफल रहा। छह गांवों में भी एक गांव को मना लिया गया था। मतदान बहिष्कार करने वाले गावों की समस्याओं की समीक्षा की जाएगी। ग्रामीणों की मांग के अनुसार कार्यो को प्राथमिकता दी जाएगी।

डॉ. विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़


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