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पर्वतीय क्षेत्र के विकास में भूविज्ञान अहम

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व अपर महानिदेशक विक्रम सिंह पांगती ने कहा कि पहाड़ों के विकास में भूविज्ञान का अहम योगदान है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 03:42 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 03:42 PM (IST)
पर्वतीय क्षेत्र के विकास में भूविज्ञान अहम
पर्वतीय क्षेत्र के विकास में भूविज्ञान अहम

संवाद सूत्र, थल (पिथौरागढ़): भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व अपर महानिदेशक विक्रम सिंह पांगती ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में सुनिश्चित विकास के लिए भू-विज्ञान का विशेष महत्व है। बिना भू गर्भीय जांच के कोई भी कार्य संभव नहीं है। भू विज्ञान को दरकिनार कर किए गए कार्यो का हश्र ठीक नहीं रहा है।

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मूल रू प से थल निवासी वर्तमान में देहरादून में रहने वाले पांगती ने अपने गृह क्षेत्र पहुंचने पर थल क्षेत्र की तमाम समस्याओं को लेकर लोगों के साथ बैठक कर विचार विमर्श किया। इस मौके पर उन्होंने 2007 में आई आपदा में खतरे में आए गर्जिला गांव, रामगंगा नदी से हो रहे कटाव को रोकने के उपाय, चेकडैम निर्माण, थल की बरार माइक्रोहाइडिल परियोजना को चालू कराने, थल कस्बे के दोनों छोरों पर रामगंगा नदी द्वारा किए जा रहे कटाव को रोकने के सुरक्षा उपायों पर चर्चा की और अपने सुझाव रखे।

इस मौके पर उन्होंने थल में डिग्री कालेज की स्थापना, थल अस्पताल के उच्चीकरण सहित विकास के अन्य मुद्दों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों , गणमान्य लोगों और व्यापारियों के साथ चर्चा की। पांगती ने बताया कि 37 साल की सेवा के दौरान उन्होंने गढ़वाल परिक्षेत्र में भूकंप, भूस्खलन, बांध परियोजनाओं, लघु जलविद्युत परियोजनाओं, हाइड्रो परियोजनाओं, सड़कों, कृत्रिम झील निर्माण के लिए विस्तृत भू गर्भीय सर्वेक्षण करने के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

उन्होंने बताया कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर सरकार ने पालन कराया। उनके दिए सुझावों में केदारनाथ टाउनशिप रीबिल्डिंग का सुझाव भी शामिल था। इस मौके पर पांगती ने कहा कि उनके दादा स्व. जगत सिंह पांगती स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं और उनके पिता लक्ष्मण सिंह पांगती समाज सेवी रहे हैं। दोनों ने क्षेत्र के विकास के लिए कार्य किए। उनकी प्रेरणा से ही वह भी अपने गृह क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए अपना सहयोग देना चाहते हैं। बैठक में ज्येष्ठ उप प्रमुख सुरेंद्र सिंह पांगती, रामलीला कमेटी अध्यक्ष दिनेश चंद्र पाठक, उपाध्यक्ष कृष्ण गोपाल पंत, सचिव अर्जुन सिंह रावत, दान सिंह बिष्ट, ग्राम प्रधान थल पड़ाव दीपा वर्मा, गोविंद लाल वर्मा, विक्रम कठायत, भूपेंद्र जंगपांगी, मनोहर आर्या, सुंदर राम, चंद्र मोहन पांगती, मनोहर सिंह क्वीरीयाल, भगवान चंद, शंकर चंद आदि उपस्थित थे।


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