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कोविड काल में भी रक्तदान में पीछे नहीं रहे सीमांत जिले के लोग

पिथौरागढ़ में कोरोना काल के दौरान भी जिले के लोग रक्तदान करने में आगे रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 11:30 PM (IST)
कोविड काल में भी रक्तदान में पीछे नहीं रहे सीमांत जिले के लोग
कोविड काल में भी रक्तदान में पीछे नहीं रहे सीमांत जिले के लोग

संवाद सहयोगी , पिथौरागढ़: सीमांत जिला यूं तो रक्तदान के मामले में प्रदेश के अग्रणी जिलों में गिना जाता है, लेकिन कोविड काल में रक्तदान को लेकर संशय बना हुआ था। रक्तदान के लिए शिविर संभव नहीं थे, ऐसे में जिले के सामाजिक, राजनैतिक और व्यापारिक संगठनों ने इस समस्या को दूर करने का बीड़ा उठाया। इन संगठनों ने खुद अस्पताल पहुंचकर रिकार्ड 1500 यूनिट रक्तदान किया। कोविड काल में जिले को रक्त की कोई कमी नहीं होने दी।

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दो दशक पूर्व तक सीमांत जिले में मौत के करीब पहुंचे रोगी को जीवन देने के लिए रक्त मिलना बहुत मुश्किल होता था। परिजन रक्तदाता को ढूंढने में जुट जाते थे और रोगी मौत के मुंह में समा जाता था। ब्लड बैंक का दायित्व संभालने के बाद डा.नरेंद्र शर्मा ने रक्तदान को लेकर लोगों की भ्रांतियां दूर की और लोग रक्तदान के लिए आगे आने लगे। कोविड काल में फिर एक बार रक्तदान को लेकर समस्या आ गई। शारीरिक दूरी के मानकों को देखते हुए न तो शिविर संभव थे और नहीं ब्लड बैंक में एक साथ ज्यादा लोगों को बुलाया जा सकता था। ऐसे में जिले की रेडक्रास, दवा प्रतिनिधि संघ, काली कुमाऊं विकास समिति सहित राजनैतिक दलों के युवा संगठनों, व्यापारिक संगठनों ने ब्लड बैंक की इस दिक्कत को दूर किया। संगठनों के कार्यकर्ताओं ने समय-समय पर ब्लड बैंक पहुंचकर 1500 यूनिट रक्तदान किया, हालांकि यह सामान्य वर्ष की तुलना में करीब 500 यूनिट कम है, बावजूद इसके जिले में किसी भी मरीज को रक्त की कमी से नहीं जूझना पड़ा। हर जरू रतमंद को रक्त उपलब्ध कराया गया। अब भी ब्लड बैंक में 57 यूनिट ब्लड शेष है और संगठनों के कार्यकर्ता हर वक्त रक्तदान को तैयार हैं।

डा.नरेंद्र शर्मा ने कहा कि कोविड काल में 1500 यूनिट रक्त एकत्र होना एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि युवाओं के प्रयास से कई लोगों को जीवनदान मिला है।


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