लगातार सातवें दिन भी नहीं उठा नगरों का कूड़ा, पर्यावरण मित्र कार्य बहिष्कार पर अड़े
ठेका प्रथा समाप्त करने सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर पर्यावरण मित्रों का कार्यबहिष्कार जारी रहा।
जाटी, चम्पावत : ठेका प्रथा समाप्त करने सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर पर्यावरण मित्रों का कार्यबहिष्कार रविवार को सातवें दिन भी जारी रहा। सफाई न होने से चम्पावत, लोहाघाट, टनकपुर एवं बनबसा नगरों में लगे कूड़े के ढेरों से आम लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। बाजारों में फैली गंदगी से दुर्गंध आ रही है, जिससे व्यापारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर पालिकाएं व पंचायतें भी मूकदर्शक बनी हुई हैं। कूड़े को उठाने को लेकर कोई उचित प्रबंध नहीं किया जा रहा है।
चम्पावत बाजार समेत विभिन्न वार्डो में गंदगी का अंबार लग गया है। यही स्थिति अन्य नगरों की भी है। उधर सफाई कर्मचारी मांगें पूरी होने तक काम पर न लौटने की जिद पर अड़े हुए हैं। नगर पालिका एवं नगर पंचायतों पर सफाई का दबाव भी लगातार बढ़ रहा है। पर्यावरण मित्रों ने रविवार को चम्पावत एवं टनकपुर नगर पालिका तथा लोहाघाट एवं बनबसा नगर पंचायत कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी मांगे दोहराई और सरकार से शीघ्र मांगे मान लेने का अनुरोध किया। कहा कि मांगें पूरी होने तक वे कार्य पर नहीं लौटेंगे। इस दौरान शाखा अध्यक्ष अर्जुन कुमार, राजू, बीना, पुष्पा, मिथिलेश, धर्मपाल, सनी, अंकित, विपिन, आदि मौजूद रहे। टनकपुर में पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल के नेतृत्व में काग्रेस कार्यकर्ताओं ने कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया। पूर्व विधायक ने कहा कि कर्मचारियों की जायज मांगों के साथ पूरी कांग्रेस पार्टी खड़ी है। प्रदर्शन करने वालों में शकर, श्याम सिंह, विशाल, अमर, गीता चंदन, सीमा, राजेन्द्र, चित्रा, सोमपाल, मधु देवी, ललिता देवी, विनोद, अशोक, सोनू आदि मौजूद रहे। लोहाघाट नगर पंचायत के बाहर भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। हरचरन, सतीश बाल्मिकी, दिलीप कुमार, मुकेश कुमार, विजय कुमार, दीपक, सुनील, गीता देवी, सुमन देवी, ममता, राजेंद्र, मदन, संजय, अर्जुन, संतोष आदि मौजूद रहे। टनकपुर के वार्ड नंबर 2 के स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर कूड़े का निस्तारण करने, सड़क बनाने व विद्युत पोल लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि नगर क्षेत्र में मर रहे गोवंश एवं अन्य जानवरों को हमारी जगह पर दफन कर दिया जाता है और कई जानवर तो इस कूड़े के ढेर पर बनी विषैले पदार्थ खाकर इत्यादि खाकर यही दम तोड़ देते हैं जिससे यहा का जीवन बहुत अस्त-व्यस्त एवं दुर्लभ हो गया है।