18 वर्ष बाद पूरा हुआ शहीद परिवार का सपना
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए शहीद हरीश सिंह
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए शहीद हरीश सिंह दानू के परिवार की मुराद 18 वर्ष बाद पूरी हुई है। सरकार ने राइंका उच्छैती और गांव को जोड़ने वाली सड़क का नाम शहीद के नाम पर किए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
मुनस्यारी तहसील के सुदूरवर्ती गांव बोथी में जन्मे हरीश सिंह दानू 1989 में महार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। भर्ती प्रशिक्षण के दौरान हीं उन्हे बेस्ट रिक्रूट का अवार्ड मिला। 1991 में उन्हें सिक्किम आपरेशन अवार्ड, 1993 में भूटान विदेश सेवा मेडल और वर्ष 1997 से 2000 तक जम्मू कश्मीर में तैनाती के दौरान स्पेशल सर्विस मेडल, सैन्य मैडल मिले। 12 मार्च 2000 को जम्मू कश्मीर के चकला पोस्ट में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वे शहीद हो गए। हरीश के शहीद होने के बाद गांव पहुंचे प्रशासन के प्रतिनिधि तत्कालीन एसडीएम मुनस्यारी ने तमाम घोषणाएं की, लेकिन इसके बाद प्रशासन ने शहीद के गांव की ओर से मुंह मोड़ लिया। शहीद के छोटे भाई किशन सिंह दानू पिछले 18 वर्षो से प्रशासन द्वारा की गई घोषणाओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अब जाकर उत्तराखंड सरकार ने शहीद के गृह क्षेत्र के इंटर कालेज राइंका उच्छैती और गांव को जोड़ने वाली सड़क मदकोट- उच्छैती सड़क का नाम शहीद के नाम पर किए जाने का आदेश जारी किया है। शहीद की मां मालती देवी, पत्नी सीता देवी, पुत्र चंचल सिंह, महेश सिंह भाई किशन सिंह और गणेश सिंह ने घोषणा पूरी किए जाने पर प्रदेश सरकार और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का आभार जताया है। वर्तमान में शहीद का एक पुत्र चंचल सिंह सेना में लेफ्टिनेंट पद की परीक्षा में सफल हुआ है।