पहाड़ में प्राकृतिक जल स्रोतों की हकीकत बयां करेगी डॉ. अवस्थी की पुस्तक
संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध लेखक डॉ. पीताम्बर अवस्थी की नई ि
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध लेखक डॉ. पीताम्बर अवस्थी की नई किताब पहाड़ में प्राकृतिक जल स्रोतों की हकीकत बयां करेगी। उत्तराखंड के परंपरागत जल स्रोत (नौला-धारा, चाल-खाल) को लेकर लिखी गई इस किताब में स्थिति की भयावहता को सामने रखा गया है।
पहाड़ में प्राकृतिक जलस्रोत तेजी से खत्म हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण की चाल-खाल जैसी समृद्ध परंपरा अब लगभग लुप्त है तो शहरों में गलत नियोजन ने प्राकृतिक स्रोतों का दम निकाल दिया है। इस गंभीर विषय पर पहाड़ में अभी तक गंभीर चिंतन शुरू नहीं हुआ है। विकराल होती इस समस्या को देखते हुए लेखक डॉ. पीताम्बर अवस्थी ने अपनी नई किताब में इसे मुद्दा बनाया है। उन्होंने अपनी किताब में उत्तराखंड के तमाम ऐतिहासिक प्राकृतिक जल स्रोतों का जिक्र करते हुए उनकी वर्तमान स्थिति को सामने रखा है। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के 60 प्राकृतिक जल स्रोतों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह 19 स्रोत प्रदूषित हो चुके हैं। जल महकमे को इनके सेवन को खतरनाक बताने वाले चेतावनी बोर्ड स्रोतों पर लगाने पड़े हैं, जबकि एक दशक पूर्व तक इन स्रोतों से बड़ी आबादी की पेयजल जरू रत पूरी होती थी। लगभग दो दर्जन स्रोतों में पानी का डिस्चार्ज नाममात्र रह गया है और कुछ ही समय में ये स्रोत पूरी तरह सूख जाएंगे। जिले के अन्य 200 नौले, धारों की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने चेताया है अब भी नहीं चेते तो भावी पीढ़ी को इसके दुष्परिणाम झेलने होंगे। ========= 22 मार्च को होगा विमोचन पिथौरागढ़: डॉ. अवस्थी की नई किताब का विमोचन 22 मार्च को जल दिवस के अवसर पर होगा। डॉ. अवस्थी ने बताया कि वे जिले की 690 ग्राम पंचायतों को अपनी पुस्तक निश्शुल्क उपलब्ध कराएंगे, ताकि लोग अपने प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने के लिए आगे आए। ग्राम पंचायतों में पुस्तक उपलब्ध कराने के बाद डॉ. अवस्थी युवाओं की टीम तैयार कर गांव-गांव जाकर लोगों को जागरू क करने का प्रयास भी करेंगे।