न बारिश न बर्फबारी, सूखा ही गुजर गया दिसंबर का पहला हफ्ता; काला पड़ने लगा हिमालय
पिथौरागढ़ में दिसंबर के पहले हफ्ते तक हिमालय की चोटियों पर बर्फ नहीं गिरी है, जिससे वे काली पड़ रही हैं। बारिश न होने से जल स्रोत सूख रहे हैं और पेयजल ...और पढ़ें

बर्फ से चमकने वाली चोटियां काली पड़ने लगी हैं। आर्काइव
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ । कुछ वर्ष पूर्व तक दिसंबर माह के पहले सप्ताह में ही हिमालय की ऊंची चोटियां बर्फ से लकदक हो जाती थी, लेकिन अब मौसम चक्र तेजी से बदल रहा है। दिसंबर माह का पहला सप्ताह गुजरने के बाद भी उच्च हिमालयी चोटियों में हिमपात नहीं हुआ है। इस मौसम में बर्फ से चमकने वाली चोटियां काली पड़ने लगी हैं। निचली घाटियों में वर्षा नहीं होने से जल स्रोतों में जल का स्तर घटने लगा है, जिससे पानी का संकट बढ़ने की आशंका पैदा हो रही है।
एक दशक पूर्व तक दिसंबर माह के पहले सप्ताह में ही 10 हजार फीट की ऊंचाई तक के इलाके बर्फ से लकदक हो जाते थे, निचले इलाकों में भी अच्छी खासी वर्षा हो जाती थी। समय पर वर्षा होने से गेहूं की बोवाई भी कर ली जाती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से दिसंबर माह मध्य तक न हिमपात हो रहा है और नहीं वर्षा। इससे सिंचाई सुविधा से वंचित क्षेत्रों में गेहूं की बोवाई पिछड़ रही है।
धारचूला तहसील के अंतर्गत दारमा, व्यास और चौंदास घाटियों के साथ ही मुनस्यारी तहसील का मल्ला जोहार क्षेत्र अभी हिमपात से वंचित हैं। हिमपात नहीं होने से ओम पर्वत की चोटी काली पड़ने लगी है। 14 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर रहने वाले जानवर ठंड बढ़ जाने के चलते निचले इलाकों में आने लगे हैं, लेकिन निचले इलाकों में हिमपात नहीं होने से बुग्याल खुले पड़े हैं, जिनमें शिकारियों द्वारा आसानी से आग लगाकर इनका शिकार कर लेने की आशंकाएं बढ़ चुकी हैं।
मुनस्यारी क्षेत्र में बुग्यालों में आग लगने की दो घटनाएं हो चुकी हैं। इधर निचले इलाकों में वर्षा नहीं होने से जलस्रोत सूखने लगे हैं। गधेरों, नौले-धारों में पानी कम होने से पेयजल संकट की समस्या सामने आने लगी हैं। अधिकांश गांवों में छोटे-छोटे जल स्रोतों से ही पानी की आपूर्ति होती है, ये जल स्रोत वर्षा जल पर ही निर्भर हैं। दिसंबर मध्य तक वर्षा नहीं होने पर गंभीर पेयजल संकट की आशंका बनी हुई है।
पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम चक्र बदल रहा है। हिमपात और वर्षा अब जनवरी में हो रही है। इससे खेती पर असर पड़ रहा है। पर्याप्त वर्षा नहीं होने से वाटर रिचार्ज कम हो रहा है। एक दशक पूर्व ही इसके संकेत दिखने लगे थे अब मौसम चक्र बदलने के पूरे प्रमाण हैं। शासन को बदलते मौसम चक्र के अनुरूप नीतियां बनानी होंगी। - धीरेंद्र जोशी, मौसम विशेषज्ञ, पिथौरागढ़
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