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पप्पू की गीतों पर झूमे उत्तराखंडी

संवाद सहयोगी, बेरीनाग : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। इसे सच कर दिखाया है विकासखंड

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Dec 2017 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 11 Dec 2017 08:00 PM (IST)
पप्पू की गीतों पर झूमे उत्तराखंडी
पप्पू की गीतों पर झूमे उत्तराखंडी

संवाद सहयोगी, बेरीनाग : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। इसे सच कर दिखाया है विकासखंड के हीपा गांव निवासी लोक कलाकार पप्पू कार्की ने। पप्पू कार्की ने देश के कोने-कोने में प्रदेश की संस्कृति का जलवा बिखेरा है। अब विदेशों में भी उनके स्वरों ने धमाल मचाना शुरू कर दिया है।

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दुबई के बट दुबई शहर में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ यूएई के तत्वावधान में उत्तराखंड संस्कृति संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इसमें उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक कलाकारों को आमंत्रित किया गया। इसमें बेरीनाग के कलाकार पप्पू कार्की भी शामिल थे। एक सप्ताह पूर्व हुए इस कार्यक्रम में कार्की ने पार भीड़े की बसंती छोरी और देवी कोटगाड़ी मैया देवी भगवती मैया दैंण है जाए पर अपने मधुर स्वरों में जोरदार प्रस्तुति देकर वहां पर मौजूद प्रवासी उत्तराखंडियों को अपने मुल्क की याद दिला दी। पप्पू ने बताया कि वह यहां पिछले दो वर्षों प्रस्तुति दे रहे हैं और वहां रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों द्वारा कार्यक्रम को भव्य रूप देने में पूरा सहयोग किया जा रहा है। पप्पू का कहना है कि कार्यक्रम के दौरान कई लोग तो अपनी बोली-भाषा को मंच पर सुनकर भावुक तक हो जाते हैं। कार्यक्रम के संयोजक देवेंद्र सिंह कोरंगा व अध्यक्ष अतुल तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अपनी संस्कृति व अपने बच्चों को अपनी बोली-भाषा से रूबरू कराना है। यह कार्यक्रम पिछले एक दशक से लगातार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम से पूरे दुबई के विभिन्न स्थानों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों को मिलने का मौका मिलता है। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोकगायिका माया उपाध्याय, गढ़वाल के मंगलेश डगवाल द्वारा भी शानदार प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में संगीत समेत ढोल, दमाऊ, बांसुरी का आठ सदस्यीय दल गया हुआ था। जिसमें बसंत तिवारी, संजय जंतवाल, मोहन जोशी, चंदन बिष्ट, महेश, अरु ण कुमार, गौरव पंत द्वारा अपनी जोरदार प्रस्तुति दी गई।

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ढोल-दमाऊ की थाप पर विदेशी भी थिरके

दुबई में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में जब उत्तराखंड के प्रसिद्ध वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊ बजने लगे तो वहां पर दर्शक के रूप में मौजूद विदेशी लोग भी जमकर थिरके और ढोल-दमाऊ बजाने वालों से इसके बारे में जानकारी भी जुटाई।


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