वन्य जीवों की समस्या से निपटने पर मंथन
संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ वन्य जंतु अपराध कानून उपचार एवं संरक्षण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: वन्य जंतु अपराध कानून उपचार एवं संरक्षण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला मंगलवार को पिथौरागढ़ में शुरू हुई। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मानव और वन्य जीवों के बीच बढ़ रहे संघर्ष के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला और इससे निपटने के लिए सामूहिक पहल की जरू रत बताई।
वन प्रभाग सभागार में सुधि संस्था के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में पशुपालन विभाग, एसएसबी, वन विभाग कर्मचारियों के साथ विचार विमर्श करते हुए डॉ. काफिल हुसैन, डॉ.उपमा मनराल, डॉ.सर्वेश कुमार, डॉ. रंजना पाल ने कहा कि बंदर, सुअर आदि का रुख मानव बस्तियों की ओर हो रहा है, इसके तमाम कारण हैं। बंदरों को मानव बस्तियों में भोजन आदि आसानी से उपलब्ध हो रहा है। इससे से शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। पूर्व में भी खेती को जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते रहे हैं, लेकिन तब ग्रामीण सामूहिक रू प से इस समस्या से निपट लेते थे। खेती का रकबा भी अधिक था, जिससे जानवर ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते थे। अब सामूहिकता की भावना कम हो रही है। इस तरह की समस्याओं के बढ़ने के पीछे यह भी एक कारण है।
इस दौरान जंगली जानवरों को वश में करने के लिए दिए जाने वाले ट्रांइक्यूलाइजर की तकनीकी जानकारी पशुपालन विभाग के कर्मचारियों को दी गई। बेहोश करने के लिए दी जाने वाली दवा की सही मात्रा, जानवर के आकार आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। पहले दिन चंडाक क्षेत्र में व्यवहारिक प्रशिक्षण भी प्रतिभागियों को दिया गया। संचालन सुधि संस्था के किशोर पंत ने किया।
कार्यशाला में पशुपालन विभाग के डा.मनोज जोशी, डा.लाल सिंह सामंत, डा.चेतना पंत, वन विभाग के एसडीओ अनिल कुमार श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।