रक्तकोष विभाग में स्थापित होगा रक्त कंपोनेंट प्लांट, नए वर्ष से लोगों को प्लेटलेट्स के लिए बाहर जाने से मिलेगी निजात
अल्प समय में ही मिसाल बन चुके पिथौरागढ़ रक्त विभाग का नए साल से विस्तारीकरण होने जा रहा है। नए वर्ष में रक्त विभाग में रक्त कंपोनेंट प्लांट स्थापित होने जा रहा है।
जासं, पिथौरागढ़: अल्प समय में ही मिसाल बन चुके पिथौरागढ़ रक्त विभाग का नए साल से विस्तारीकरण होने जा रहा है। नए वर्ष से रक्त विभाग में रक्त कंपोनेंट प्लांट को प्रारंभ कराने की कवायद हो चुकी है।
आज से एक दशक पूर्व तक पिथौरागढ़ में रक्त की समस्या विकराल थी। किसी रोगी को खून की आवश्यकता होने पर नगर में रक्तदाताओं का ढूंढते थे। तब नगर में गिने चुने ही रक्तदाता होते थे। जिले में खून की कमी के चलते बाहर से खून मंगाना पड़ता था। यहां पर रक्तकोष का प्रभारी डॉ. नरेंद्र शर्मा को सौंपे जाने के बाद एक क्रांति सी आई। खून नाड़ियों में बहे नालियों में नहीं मंत्र को लेकर उन्होंने रक्तदान के लिए एक मुहिम चला दी। इस जागरू कता का परिणाम बेहद सुखद रहा। पिथौरागढ़ रक्तकोष एक आदर्श रक्तकोष बन गया। प्रत्येक आयोजनों पर स्वैच्छिक रक्त देने वालों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई। रक्तकोष प्रभारी डॉ. शर्मा जिले भर में होने वाले सारे कार्यक्रमों में रक्तदान शिविर लगाते हैं। जिस कारण आज खून की आवश्यकता होने पर रक्त कोष से सभी ग्रुप का खून मिल जाता है।
अब रक्तकोष का विस्तारीकरण होने जा रहा है। शासन ने रक्तकोष विस्तारीकरण और रक्त कंपोनेंट प्लांट की स्थापना के लिए भवन निर्माण के लिए डीपीआर मंगा ली है। डॉ. नरेंद्र शर्मा ने बताया कि प्लांट के स्थापित होते ही रक्तकोष में प्लास्मा, प्लेटलेट्स तथा पैक रोल का निर्माण होने लगेगा। प्लेटलेट्स आदि के लिए रोगियों को हल्द्वानी, देहरादून और दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। =========== दिसंबर 2020 तक है लाइसेंस
डॉ. नरेंद्र शर्मा ने बताया कि रक्तकोष के वर्तमान भवन का लाइसेंस नवीनीकरण एक जनवरी 2018 से 12 दिसंबर 2020 तक हो चुका है। वर्तमान में रक्तकोष में समस्त ग्रुपों के खून का भंडारण किया जाता है और इसमें सभी मुख्य परीक्षण एचआइवी, हेपेटाइटिस बी, सी, मलेरिया और बीडीआरएल आदि के टेस्ट गुणवत्ता के साथ किए जाते हैं।