तैयार धान की फसल पर सुअरों के झुंड की मार
संवाद सूत्र, थल: जिले की उपजाऊ घाटी थल में जंगली सुअरों के झुंड किसानों की आधे वर्ष की
संवाद सूत्र, थल: जिले की उपजाऊ घाटी थल में जंगली सुअरों के झुंड किसानों की आधे वर्ष की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। सुअरों ने कई गांवों में किसानों की तैयार फसल उजाड़ दी है। फसल बर्बाद हो जाने से मायूस किसानों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है।
छह माह की मेहनत के बाद किसान इन दिनों धान की कटाई की तैयारी कर रहे हैं कुछ गांवों में फसल काट कर खेतों में एकत्र की गई है। किसानों को उम्मीद थी कि इस वर्ष अच्छी आमदनी होगी, लेकिन इस उम्मीद पर जंगली सुअरों ने पानी फेर दिया है। तहसील क्षेत्र के हीपा, मढ़, सेलावन, बैरिगांव, भैंसिया, उडियार, सिल्दो, ठठोली, सैनर, भट्टीगांव, अघोली, दरमोली, सुनेति, वर्षायत के सैकड़ों किसान धान की खेती करते हैं। किसान अपने लिए वर्ष भर की जरू रत का चावल निकालने के बाद धान बाजार में बेचते भी हैं। हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल पर सुअरों की मार पड़ रही है। सुअरों ने बड़ी मात्रा में फसल बर्बाद कर दी है। अपनी मेहनत पर पानी फिरने से परेशान काश्तकारों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है। सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दावे कर रही है, लेकिन पिछले कई दशकों से जंगली जानवरों की समस्याओं से जूझ रहे किसानों की सुध सरकार को नहीं है। इस हाल में दोगुनी तो दूर की बात वर्तमान आय भी बरकरार रहने की उम्मीद नहीं है। राजवंती देवी, काश्तकार फोटो फाइल: 22 पीटीएच 12 खेतों में सबसे अधिक काम महिलाएं ही करती हैं। रात दिन एक कर महिलाओं ने अपने खेतों में धान की फसल तैयार की जब कुछ आमदनी होने की उम्मीद थी तो सुअरों ने फसल ही उजाड़ दी। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की जरू रत है। कमला देवी
फोटो फाइल: 22 पीटीएच 13 पहाड़ के किसान लंबे समय से जंगली जानवरों की समस्या से जूझ रहे हैं, जानवरों के चलते किसान खेती छोड़ रहे हैं, जिससे खेत बंजर हो रहे हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में कोई पहल नहीं कर रही है। यही हाल रहा तो पहाड़ के खेत पूरी तरह बंजर हो जायेंगे। रमेश सिंह, काश्तकार
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जंगली जानवर पर्वतीय क्षेत्र में बेरोजगारी और पलायन का बढ़ा कारण बन रहे हैं। फसलें बर्बाद होने से लोग खेती छोड़कर महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। जंगली जानवर अब लोगों के आंगन तक दस्तक देने लगे हैं, बावजूद इसके सरकार खामोश है। मेहर सिंह कार्की, काश्तकार
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