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एक घर से लौटे तो दूसरे घर की राह पर रोड़ा

संवाद सूत्र, धारचूला: निकाय चुनाव भारत में परिणाम भुगत रहे हैं नेपाल के उच्च हिमालय के टिंकर अ

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 10:33 PM (IST)
एक घर से लौटे तो दूसरे घर की राह पर रोड़ा
एक घर से लौटे तो दूसरे घर की राह पर रोड़ा

संवाद सूत्र, धारचूला: निकाय चुनाव भारत में परिणाम भुगत रहे हैं नेपाल के उच्च हिमालय के टिंकर और छांगरु गांव के ग्रामीण। उच्च हिमालय के अपने मूल गांवों से सत्त्तर किमी पैदल चलकर जब अपने दूसरे घर पहुंचने से पूर्व राह थम चुकी हैं। अब दो दिन तक अपने घर पहुंचने की आस नहीं रही तो पुल के पास ही डेरा जमा दिया है।

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निकाय चुनाव के लिए धारचूला में भारत और नेपाल को जोड़ने वाला काली नदी पर बना अंतर्राष्ट्रीय झूला पुल शुक्रवार की सायं को बंद कर दिया गया है। यह पुल अब आवाजाही के लिए 18 नवंबर को मतदान के बाद सायं पांच बजे खुलेगा। इस दौरान भारत और नेपाल के मध्य आवाजाही बंद रहेगी। इसका खामियाजा नेपाल के दो उच्च हिमालयी छांगरु और टिंकर गांव के ग्रामीण भुगत रहे हैं। उच्च हिमालय के गांवों से इस समय शीतकालीन माइग्रेशन चल रहा है। नेपाल के तिब्बत चीन सीमा से लगे दो गांव टिंकर और छांगरु के ग्रामीण माइग्रेशन भारतीय भू भाग से करते हैं। भारत के व्यास घाटी के सात गांवों के साथ-साथ ही इन्हें माइग्रेशन करना पड़ता है।

इस वर्ष व्यास मार्ग बंद होने के कारण नेपाल के इन दोनों गांवों को भारतीय ग्रामीणों के साथ ही समस्या झेलनी पड़ी । बीते वर्षो तक छांगरु और टिंकर के ग्रामीण धारचूला से भारतीय भू भाग में गब्र्यांग तक जाते थे। जहां काली नदी में सर्वाधिक ऊंचाई वाले स्थान पर बने सीता पुल को पार कर नेपाल में अपने गांवों को जाते थे। वापसी में धारचूला आकर झूला पुल से अपने गांवों को जाते थे। इस वर्ष मार्ग बंद होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था के तहत लखनपुर और नजंग के पास दो अस्थाई पुल बनाए गए हैं। भारत के ग्रामीणों को वापसी में नजंग पुल से नेपाल जाकर वहां साढ़े तीन किमी चलने के बाद लखनपुर पुल से भारत आना पड़ा । ठीक इसी तरह नेपाल के दो गांवो के ग्रामीणों को भी धारचूला पहुंचना पड़ा।

शुक्रवार को भी लगभग सौ के आसपास नेपाल के दो गांवों के ग्रामीण माइग्रेशन के दौरान धारचूला पहुंचे । जब वह अपने देश जाने के लिए पुल के पास पहुंचे तो उससे पूर्व पुल बंद कर दिया गया। दो से तीन दिन की पैदल चलने के बाद घर के पास पहुंचते ही ग्रामीणों की राह थम चुकी है। पुल बंद होने के कारण थके हारे ग्रामीण पुल के पास ही बैठे हैं। विकल्प कुछ नहीं होने के कारण ग्रामीण जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक है फंसे हुए हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा इस संबंध में भारतीय प्रशासन और नेपाल प्रशासन से बात की जा रही है परंतु शुक्रवार सायं तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है।


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