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तिब्बत में कैलास यात्रियों को नहीं मिलता अच्छा खाना

संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ कैलास मानसरोवर यात्रा का 9वां दल शुक्रवार को यात्रा पूरी कर पिथौर

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 10:49 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 10:49 PM (IST)
तिब्बत में कैलास यात्रियों को नहीं मिलता अच्छा खाना
तिब्बत में कैलास यात्रियों को नहीं मिलता अच्छा खाना

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: कैलास मानसरोवर यात्रा का 9वां दल शुक्रवार को यात्रा पूरी कर पिथौरागढ़ पहुंचा। यहां स्थानीय पर्यटक आवास गृह में यात्रियों का निगम कर्मचारियों ने भव्य स्वागत किया। यात्रियों ने यात्रा से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि तिब्बत में कैलास यात्रियों को अच्छा खाना नहीं दिया जाता है।

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दल के प्रथम एलओ एमके सिंह व द्वितीय एलओ सर्वानन की अगुवाई में पहुंचे 54 सदस्यीय दल का निगम कर्मचारियों ने बुरांश का जूस पिलाकर स्वागत किया। दल में 11 महिलाएं शामिल हैं। दल के तीन सदस्य महेंद्र रणछोड़दास पटेल, सुरेंद्र सिंह व चिराग पटेल एलओ से अनुमति लेकर आदि कैलास यात्रा के लिए धारचूला में ही रुक गए। दल के सबसे बुजुर्ग सदस्य चेन्नई से आए दंपती कल्याणी व वैंकटरमन और सबसे युवा गुजरात की सोनाक्षी हैं। यात्रियों ने यात्रा से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि भारत में दिल्ली से नजंग तक यात्रा पड़ावों पर अच्छे प्रबंध किए गए थे। बिहार निवासी राजेश कुमार ने कहा कि तिब्बत में यात्रियों को अच्छा खाना नहीं दिया जाता है। खाने का स्वाद बहुत बेस्वाद होता है। मजबूरी में यात्रियों को वैसा ही खाना खाना पड़ता है। दोपहर का भोजन करने के बाद दल जागेश्वर धाम को रवाना हुआ। इससे पूर्व आवास गृह के प्रबंधक दिनेश गुरुरानी ने यात्रियों को हिमालय बचाओ अभियान के तहत स्वच्छता शपथ दिलाई। मौके पर यात्रियों ने आवास गृह परिसर में स्थित कैलास मानसरोवर यात्रा वाटिका में पौधरोपण किया। गुरू रानी ने यात्रियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरू क करते हुए घर पहुंचकर एक पौधा भोले बाबा के नाम अवश्य लगाने की अपील की।

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सातवीं बार यात्रा कर लौटे दिल्ली निवासी देवेंद्र कुमार लांबा ने बताया कि पहले के मुताबिक भारत में सड़क सुविधा का काफी विस्तार होने लगा है। नजंग तक सड़क पहुंचने से यात्रियों को काफी सहुलियत मिली है, मगर नजंग से मालपा के बीच जोड़ने वाला पैदल मार्ग सबसे अधिक खतरनाक है।

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दल की सबसे युवा सदस्य गुजरात निवासी 22 वर्षीय सोनाक्षी ने कहा कि उन्हें अपने माता-पिता से कैलास मानसरोवर यात्रा में जाने की प्रेरणा मिली। उनके माता-पिता ने वर्ष 2013 में कैलास मानसरोवर की यात्रा की थी। तभी से सोनाक्षी ने भी कैलास यात्रा पर जाने की ठान ली। सोनाक्षी ने बताया कि वह अगली बार परिवार के संग यात्रा करेंगी।

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दल के सबसे बुजुर्ग चेन्नई के 70 वर्षीय दंपती वैंकेटरमन व कल्याणी ने बताया कि कैलास मानसरोवर यात्रा करना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उनका कहना है कि यदि सरकार उन्हें अनुमति देगी तो वह अगले वर्ष भी कैलास मानसरोवर की यात्रा जरू र करेंगे।

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पहली बार यात्रा कर लौटीं अहमदाबाद निवासी लक्ष्मी सैन ने कहा कि कैलास मानसरोवर साक्षात भगवान शिव का रू प है। स्वर्ग है तो यहीं है। उनका कहना है कि भले ही लोग मरने के बाद स्वर्ग जाते हों, मगर उन्हें कैलास पहुंचकर जीते जी स्वर्ग के दर्शन हो गए हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जीवन में एक बार जरू र कैलास यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

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