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रास्ता बंद हुआ तो आदि कैलास के 10 यात्रियों को लेकर हेलीकॉप्टर ने भरी उड़ान, बैठने को लेकर हो रही धक्कामुक्की

पिथौरागढ़ में पांच दिनों से बारिश के कारण मलघाट के पास लिपुलेख मार्ग बंद है। इसके जल्द खुलने के आसार भी नहीं है। इससे आदि कैलास यात्रा पर गए यात्री जगह-जगह रास्ते में फंसे हुए हैं। इन्हें निकालने की कोशिश हो रही है।

By Rajesh VermaEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2022 05:22 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2022 05:22 PM (IST)
रास्ता बंद हुआ तो आदि कैलास के 10 यात्रियों को लेकर हेलीकॉप्टर ने भरी उड़ान, बैठने को लेकर हो रही धक्कामुक्की
छह दिनों से तवाघाट -लिपुलेख मार्ग बंद है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : तवाघाट-लिपुलेख मार्ग बंद होने से विगत पांच दिनों से बूंदी में फंसे आदि कैलास यात्रियों के 19वें दल के दस यात्रियों को हेलीकॉप्टर से धारचूला लाकर डीडीहाट भेज दिया गया है। वहीं, 21वें दल को मार्ग में आंशिक परिवर्तन कर वाया नारायण आश्रम गुंजी भेज दिया गया है। इससे यात्रियों को लगभग चार से पांच किमी पैदल चलना पड़ा। 22वां दल भी नारायण आश्रम रवाना हो चुका है।

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6 दिन से बंद है तवाघाट -लिपुलेख मार्ग

कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग यानि तवाघाट -लिपुलेख मार्ग विगत छह दिनों से बंद है। इस दौरान आदि कैलास के दर्शन कर 19वां दल वापसी में बूंदी में फंस गया था। लिपुलेख मार्ग के मलघाट के पास अभी जल्द खुलने के आसार भी नहीं हैं। इस कारण बूंदी में फंसे आदि कैलास यात्रियों को धारचूला लाना चुनौती बना हुआ है। रास्ता खुलता न देख अंत में यात्रियों को हेलीकॉप्टर से धारचूला लाने का निर्णय लिया गया। रविवार सायं दस यात्रियों को बूंदी से धारचूला लाया गया। इस दल में यात्रियों सहित अन्य को मिला कर 27 लोग शामिल हैं। 17 यात्री अभी बूंदी में फंसे हैं।

21वां दल मार्ग बदलकर पहुंचा गुुंजी

विगत पांच दिनों से यात्रा में जा रहे 21वें दल को सोमवार को मार्ग में आंशिक परिवर्तन कर वाया नारायण आश्रम होते हुए गुंजी भेजा गया है। यह दल सायं तक गुंजी पहुंचेगा। यात्री नारायण आश्रम से लगभग चार से पांच किमी पैदल चलकर जयकोट पहंचे, जहां से वाहन से फिर मुख्य मार्ग में गस्कू पहुंचने के बाद गुंंजी को गए। मंगलवार को आदि कैलास और ओम पर्वत के दर्शन करेगा। मार्ग में फंसे 20वें दल को रविवार को ही वापस लौटा दिया गया था।

कचरा न फेंकने की दिलाई शपथ

यात्रा का 22वां दल नारायण आश्रम को रवाना हो चुका है। दल को पिथौरागढ़ पर्यटक आवास गृह से प्रबंधक दिनेश गुरु रानी ने उच्च हिमालय में कालापानी में रोपने के लिए पौधे दिए और उच्च हिमालय में कूड़ा नहीं करने को कहा । इस मौके पर यात्रियों को शपथ भी दिलाई गई। दल पिथौरागढ़ से धारचूला पहुंचा जहां से नारायण आश्रम को रवाना हुआ है।

बूंदी में एक अनार-सौ बीमार वाली स्थिति

तवाघाट -लिपुलेख मार्ग बंद होने से बूंदी में भारी संख्या में लोग फंसे हैं, जिसमें आदि कैलास यात्रा के यात्रियों सहित निजी टूर से संचालित व व्यक्तिगत रूप से यात्रा में गए यात्रियों सहित उच्च हिमालय में गए लोग हैं। रेस्क्यू के लिए मात्र एक हेलीकॉप्टर है। हेलीकॉप्टर को पूरे उच्च हिमालय से रोगियों सहित अन्य लोगों को भी लाना होता है। बूंदी में जैसे ही हेलीकॉप्टर पहुंचता है तो उसमें सवार होने के लिए धक्का-मुक्की तक हो रही है। ऐसी हालत में फंसे लोगों के जल्द निकल पाने के आसार नहीं है। मलघाट के पास बंद लिपुलेख मार्ग के भी फिलहाल जल्द खुलने की संभावना नहीं बताई जा रही है।

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