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शायद सौ साल बाद दो शहीदों को नसीब हो जाएगी मातृभूमि

फ्रांस के न्यू चैपल के पास निर्माण कार्यों के लिए की जा रही खुदाई के दौरान मिले दोनों शवों के कधों पर मिले बैज से अनुमान लगाया जा रहा है कि ये गढ़वाल राइफल्स के जवान हैं।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 08:28 PM (IST)Updated: Sat, 28 Oct 2017 05:00 AM (IST)
शायद सौ साल बाद दो शहीदों को नसीब हो जाएगी मातृभूमि
शायद सौ साल बाद दो शहीदों को नसीब हो जाएगी मातृभूमि

रिखणीखाल (पौड़ी गढ़वाल), [जेएनएन]: प्रथम विश्व युद्ध में शहीद गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट के दो जवानों को शायद युद्ध के 100 साल बाद अपनी जमीन नसीब हो जाए। फ्रांस के न्यू चैपल के पास निर्माण कार्यों के लिए की जा रही खुदाई के दौरान मिले दोनों शवों के कधों पर मिले बैज से अनुमान लगाया जा रहा है कि ये गढ़वाल राइफल्स के जवान हैं। शवों की शिनाख्त के लिए नवंबर में रेजीमेंट का दल फ्रांस जाएगा। 

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गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर के एडजुटेंट लेफ्टिनेंट कर्नल रितेश राय ने बताया कि पिछले दिनों फ्रांस सरकार की ओर से इस आशय की जानकारी दी गई है। जानकारी के अनुसार खुदाई में चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं। इनमें एक जर्मन और एक ब्रिटिश सैनिक का शव हो सकता है। ले. कर्नल रितेश राय के अनुसार स्थानीय प्रशासन की जांच में पता चला है कि भारतीय सैनिकों के कंधों पर मिले बैज में 39 अंकित है। 

दरअसल, तब गढ़वाल राइफल्स 39 गढ़वाल राइफल्स के नाम से जानी जाती थी। युद्ध में गढ़वाली सैनिकों की वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसका नाम 39 रॉयल गढ़वाल राइफल्स कर दिया था। आजादी के बाद इसमें से रॉयल शब्द हटा दिया गया। उन्होंने बताया कि फ्रांस की सरकार ने शिनाख्त के लिए रेजीमेंट से संपर्क किया है। गौरतलब है कि वर्ष 1914 से 1918 तक चले प्रथम विश्व युद्ध में विभिन्न मोर्चों पर तैनात गढ़वाल राइफल्स के कुल 678 जवान शहीद हुए थे। 

गढ़वाली जवानों के पराक्रम के कायल थे अंग्रेज 

प्रथम विश्व युद्ध में यह गढ़वाली जवानों का शौर्य ही था कि गढ़वाल राइफल्स को रॉयल के खिताब से नवाजा गया। फ्रांस में हुए युद्ध में नायक दरबान सिंह नेगी और राइफल मैन गबर सिंह को मरणोपरांत विक्टोरिया क्रास से सम्मानित किया गया, जबकि जमादार संग्राम सिंंह नेगी को 'मिलट्री क्रास अवार्ड' दिया गया। 

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