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शिक्षकों को ज्ञान बांटने चली सरकार

अजय खंतवाल, कोटद्वार: शैक्षणिक सत्र समाप्ति पर है और पूरे प्रदेश में ज्ञान की गंगा बह रही है। ज्ञान

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 03:00 AM (IST)
शिक्षकों को ज्ञान बांटने चली सरकार
शिक्षकों को ज्ञान बांटने चली सरकार

अजय खंतवाल, कोटद्वार: शैक्षणिक सत्र समाप्ति पर है और पूरे प्रदेश में ज्ञान की गंगा बह रही है। ज्ञान एनसीईआरटी के उस पाठ्यक्रम का बांटा जा रहा है, जो इसी सत्र से प्रदेश में लागू किया है। ज्ञान बांटने वाले शिक्षक नहीं, बल्कि वही सरकार है, जिसने नए पाठ्यक्रम को प्रदेश में लागू किया। सरकार के इस प्रयास पर स्वयं शिक्षक ही सवाल उठा रहे हैं। सवाल यह कि आखिर शैक्षणिक सत्र के अंत में पाठ्यक्रम की जानकारी देने का औचित्य क्या है? अब जबकि स्कूलों में गृह परीक्षाओं के साथ ही बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां जोरों पर हैं, ऐसे में शिक्षकों को विद्यालयों से दूर कर जहां सरकार विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में डाल रही है।

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प्रदेश सरकार ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र में तमाम विद्यालयों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने की घोषणा कर दी। शिक्षकों के लिए पाठ्यक्रम नया था, इस कारण विद्यार्थियों के मध्य जाने से पूर्व शिक्षकों का स्वयं अध्ययन करना जरूरी था। सरकार ने भले ही सुध नहीं ली, लेकिन शिक्षकों ने स्वप्रयासों से न सिर्फ पाठ्यक्रम को जाना, बल्कि विद्यार्थियों को भी पढ़ाया। वर्तमान शैक्षणिक सत्र अंतिम चरण में है और अब सरकार को शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण देने की याद आ गई है। सर्व शिक्षा अभियान व रमसा को समाप्त कर समग्र शिक्षा अभियान के तहत इस प्रशिक्षण में करोड़ों का बजट व्यय किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो दस दिवसीय इन प्रशिक्षण शिविरों में 40-40 शिक्षकों का एक समूह बनाकर उन्हें एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी दी जा रही है व प्रत्येक समूह पर एक लाख नब्बे हजार की धनराशि व्यय की जानी है। दुगड्डा ब्लॉक में वर्तमान में चार प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं, जिनमें 135 शिक्षकों को पाठ्यक्रम की जानकारी दी जा रही है। अंधेरे में विद्यार्थियों का भविष्य

बोर्ड परीक्षाओं की डेट शीट जारी हो चुकी है व लिखित परीक्षाओं से पूर्व प्रयोगात्मक परीक्षाएं होनी है, जो कि फरवरी में होंगी। सरकार ने एनसीईआरटी पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के नाम पर शिविर शुरू किए हैं, जिनके कि फरवरी तक चलने की संभावना है। प्रशिक्षण शिविर में प्राथमिक, जूनियर व माध्यमिक स्तर तक के शिक्षक प्रतिभाग करेंगे। सवाल यह है कि शिक्षक स्वयं प्रशिक्षण की तैयारी करेंगे अथवा बच्चों को बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कराएंगे।


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