एक कंप्यूटर के भरोसे यातायात व एएचटीयू
संचार के इस युग में अपराधी भले ही हाईटेक हो गए हों लेकिन मानव तस्करी पर नियंत्रण के लिए बनाई गई एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट व यातायात विभाग आज भी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: संचार के इस युग में अपराधी भले ही हाईटेक हो गए हों, लेकिन मानव तस्करी पर नियंत्रण के लिए बनाई गई एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट व यातायात विभाग आज भी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। हालत यह हैं कि पूरे पौड़ी जिले का भार संभालने वाले दोनों विभाग केवल एक कंप्यूटर के भरोसे ही चल रहे हैं। ऐसे में कैसे बढ़ते अपराध पर लगाम लगे, यह बड़ा सवाल है।
लापता बच्चों और महिलाओं की गुमशुदगी की जांच के लिए जनवरी, 2013 में कोटद्वार में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट की स्थापना की गई थी। यूनिट खुलने के बाद कर्मचारियों की तैनाती तो की गई, लेकिन संसाधनों के नाम पर यूनिट को केवल एक कंप्यूटर व कोतवाली परिसर में एक कमरा ही मिल पाया। यही स्थिति यातायात विभाग की भी है। करीब तीन वर्ष पूर्व स्थापित हुए यातायात विभाग को केवल एक कमरा मिला है। एएचटीयू विभाग के कार्यालय में लगे कंप्यूटर से ही दोनों विभाग कमाई करते हैं। कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए कर्मचारियों को खुद के फोन का डाटा इस्तेमाल करना पड़ता है। यहां तक कि दोनों विभागों को हाईटेक बनाने के लिए आज तक कोई एक्सपर्ट भी नहीं मिल पाया।
एक प्रभारी के कंधे दो विभाग
पौड़ी जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट व यातायात विभाग का कार्यालय केवल कोटद्वार में ही है। कोटद्वार से जिले का कार्य देखा जाता है। हालत यह है कि पिछले तीन वर्षो से एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट को स्थायी प्रभारी तक नहीं मिल पाया। यातायात प्रभारी के जिम्मे ही दोनों विभाग दिए गए हैं।
एक ई-मशीन के भरोसे जिला
सड़क दुघर्टनाओं को लेकर अति संवेदनशील माने जाने वाले पौड़ी जिले को ई-चालान के नाम पर केवल एक ही मशीन दी गई है। ऐसे में आज भी विभागीय अधिकारियों को हाथ से ही लिखकर चालान करने पड़ते हैं। मशीन के अभाव में वाहनों की ऑनलाइन जानकारी नहीं मिल पाती।
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विभागों की ओर से व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। संसाधनों की कमी को लेकर अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
सुनील पंवार, प्रभारी यातायात व एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट