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बहनों की जिंदगी बचाने के लिए आग से 'खेल गया' पौड़ी का सतबीर, पढ़िए पूरी खबर

आखिरकार मौत के साथ संघर्ष में जिंदगी की जीत हुई और 18 साल के सतबीर ने अपने साहस से न केवल खुद को बल्कि अपनी दो बहनों को भी बचा लिया। जंगल में लपटों के बीच घिरे सतबीर का साहस ग्रामीणों की जुबान पर है।

By Edited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 10:41 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 10:33 AM (IST)
बहनों की जिंदगी बचाने के लिए आग से 'खेल गया' पौड़ी का सतबीर, पढ़िए पूरी खबर
बहनों की जिंदगी बचाने को आग से 'खेल गया' सतबीर।

रोहित लखेड़ा, कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। आखिरकार मौत के साथ संघर्ष में जिंदगी की जीत हुई और 18 साल के सतबीर ने अपने साहस से न केवल खुद को, बल्कि अपनी दो बहनों को भी बचा लिया। जंगल में लपटों के बीच घिरे सतबीर का साहस ग्रामीणों की जुबान पर है। 

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घटना रविवार शाम की है। पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल ब्लाक में ग्राम सिमल्या का रहने वाला सतबीर अपनी 35 बकरियों को लेकर जंगल में था। साथ में चचेरी बहन किरन (11) और रिश्ते की बहन सिमरन (13) भी थी। कोटद्वार बेस अस्पताल में उपचार करा रहे सतबीर ने बताया कि जंगल में दूसरी ओर आग लगी हुई थी, लेकिन जिस तरफ  वे थे, वहां सब कुछ ठीक ही लग रहा था। कुछ देर में उन्हें बकरियों को लेकर गांव लौटना था। इस बीच हवा चलने लगी। सतबीर के अनुसार वे बातों में इस कदर मशगूल थे कि पता ही नहीं चला के वे लपटों से घिर चुके हैं। एक बार तो विकराल आग को देख तीनों सहम गए। दो किशोरियां रोने लगी, लेकिन सतबीर ने हिम्मत नहीं हारी। उसने तुरंत ही पेड़ों की हरी टहनियां तोड़ीं और आग बुझाना शुरू किया। 

इससे लपटों के बीच से निकलने का रास्ता बन गया। उसने तत्काल अपनी बहनों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके बाद वह बकरियों को लेने पहुंचा। आग से पांच बकरियों की जान चली गई, लेकिन 30 को बचा लिया गया। हालांकि इस प्रयास में सतबीर काफी झुलस गया। उसके कपड़ों ने आग पकड़ ली थी। ऐसे में सतबीर  तेजी से करीब तीन सौ मीटर दूर नदी की ओर भागा। उसने  नदी में छलांग लगा दी। इस बीच घर पहुंची बहनों ने गांव में सूचना दे दी। 

बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे। सतबीर नदी से निकल कर तट पर लेटा हुआ था। गांव के लोग उसे एंबुलेंस से कोटद्वार स्थित बेस चिकित्सालय लेकर पहुंचे। चिकित्सकों के अनुसार उसकी हालत खतरे से बाहर है। 11वीं कक्षा के छात्र सतबीर ने कहा कि यह उसके पिता और भगवान का आशीर्वाद है। सतबीर के पिता चंद्रमोहन कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे के साहस पर गर्व है।

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