सिक्यूरिटी सर्विस एजेंसी के मालिक को तीन साल की सजा
जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में ठेकेदारी व्यवस्था के अंतर्गत स
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में ठेकेदारी व्यवस्था के अंतर्गत सुरक्षा कार्य करने वाले सुरक्षा कर्मचारियों को उनके ईपीएफ का भुगतान नहीं करने और धोखाधड़ी के आरोप में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीनगर अमित कुमार ने अभियुक्त सुशील कुमार को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही सात हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है।
अभियोजन अधिकारी सुधीर उनियाल ने बताया कि कोटा राजस्थान निवासी सुशील कुमार मैसर्स डिटेक्टिव सिक्यूरिटी सर्विस एजेंसी का प्रोपराइटर है। उसने वर्ष 2012-13 में गढ़वाल विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था का ठेका लिया था। विवि से धनराशि लेने के बावजूद उसने सुरक्षा गार्डो का ईपीएफ जमा नहीं कराया।
इसे लेकर पूर्व सैनिक गुंदर सिंह रावत और प्रेम सिंह रावत ने इस ठेकेदार के खिलाफ रिपोर्ट लिखाते हुए कहा था कि उनके निर्धारित वेतन से कर्मचारी भविष्य निधि ईपीएफ का अंशदान काटा जाता है, लेकिन उन्हें नहीं मिला है। मामले की सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय श्रीनगर में हुई। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुशील कुमार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने आरोपित को तीन साल की सजा व सात हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है।
अभियोजन अधिकारी सुधीर उनियाल ने न्यायालय में कहा कि यह मामला अमानत में खयानत करने का भी है। अभियुक्त ने 2010- 2011 में विश्वविद्यालय द्वारा कार्यरत सुरक्षा गार्डों के ईपीएफ की धनराशि ईपीएफ में जमा नहीं की गई थी।