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हमें हिमालय की जरूरत है, हिमालय को हमारी नहीं: सीएम रावत

गढ़वाल विवि के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमें हिमालय की जरूरत है, हिमालय को हमारी नहीं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 07:12 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 08:19 AM (IST)
हमें हिमालय की जरूरत है, हिमालय को हमारी नहीं: सीएम रावत
हमें हिमालय की जरूरत है, हिमालय को हमारी नहीं: सीएम रावत

श्रीनगर गढ़वाल, पौड़ी  [जेएनएन]: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भारतीय हिमालय के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें हिमालय की जरूरत है, हिमालय को हमारी नहीं। 67 प्रतिशत वन क्षेत्र के साथ ही देश को 65 प्रतिशत पानी की आपूर्ति भी हिमालय से ही होती है। प्रकृति का संपूर्ण चक्र हिमालय से ही है। सीएम ने यह बात गढ़वाल विवि के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में कही।

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200 से अधिक भूगोल वैज्ञानिक कर रहे इस राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रतिभाग

गुरुवार से बिड़ला परिसर श्रीनगर के एसीएल सभागार में भारतीय हिमालय के पर्यावरण, संसाधन और विकास विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू हो गई। गढ़वाल विवि के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषकर हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड के साथ ही देश के अन्य राज्यों से भी पहुंचे 200 से अधिक पर्यावरण और वरिष्ठ भूगोल वैज्ञानिक इस राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ करवाया। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी, गढ़वाल केंद्रीय विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन कोसी कटारमल अल्मोड़ा के निदेशक डा. रनवीर रावल और प्रो. एमएसएम रावत भी इस अवसर पर मंचासीन थे।

उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों से भी है भरपूर

बिगड़ते पर्यावरण को लेकर सभी वक्ताओं ने तीव्र चिंता व्यक्त करते हुए पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर व्यक्ति के कर्तव्यनिष्ठ होने पर भी विशेष जोर दिया। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हिमालय का संरक्षण सर्वोच्च है। पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास भी जरूरी है।  वैज्ञानिकों के कार्यों की जानकारी आम लोगों को भी होनी चाहिए। आशा, विश्वास और कठोर परिश्रम से हर समस्या का समाधान होने के साथ ही सफलता भी मिलती है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जनहित में उत्तराखंड सरकार कठोर निर्णय लेने में विलंब भी नहीं करती है। केवल सर्टिफिकेट देने वाले शिक्षण संस्थान को समाज हितकारी नहीं बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब ज्ञान, विवेक से पूर्णता ही है। उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों से भी भरपूर है।

पर्यावरण संरक्षण को लेकर वैज्ञानिकों के सुझावों पर कार्य करेगी सरकार 

विशिष्ट अतिथि और प्रदेश के उच्च शिक्षा और सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर वैज्ञानिकों के सुझावों पर सरकार कार्य करेगी। भोटिया जनजाति के साथ ही अन्य जनजातियों का विशेष उल्लेख करते हुए डा. धन सिंह रावत ने कहा कि हिमालय के संरक्षण में जनजाति के लोगों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के पर्यावरण के प्रति गहरी सोच और आस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कोसी और रिस्पना नदी बचाने को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा ऐतिहासिक पहल की गयी है। नमामि गंगे योजना के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा शुद्धिकरण का ऐतिहासिक अभियान चलाया है। 

कागजों से बाहर आकर भी कार्य करना होगा

विशिष्ट अतिथि और देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर कागजों से बाहर आकर भी कार्य करना होगा। पर्यावरण संरक्षण के साथ ही विकास करना त्रिवेंद्र सरकार की प्राथमिकता है। विकास और पर्यावरण को गाड़ी के दो पहियो के समान बताते हुए विधायक विनोद कंडारी ने कहा कि युवाओं को पर्यावरण संरक्षण भी अपनी प्राथमिकता में लाना होगा। पर्यावरण संरक्षित और विकसित करने से हम स्वस्थ भी बने रहें और दवाओं के बिल भी कम होंगे। 

विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक 

राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए गढ़वाल केंद्रीय विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। प्लास्टिक को एक बड़ी समस्या बताते हुए प्रो. अन्नपूर्णा ने कहा कि लोगों में जागरूकता से भी जलवायु परिवर्तन के कारणों को रोका जा सकता है। दबाव की राजनीति से होने कार्यों के परिणाम बेहतर भी नहीं होते हैं।

हिमालयी क्षेत्र के तापमान में ज्यादा वृद्धि

कार्यशाला के मुख्य वक्ता और जीबी पंत हिमालयन संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के निदेशक डा. रनवीर रावल ने विभिन्न शोधों का जिक्र करते हुए कहा कि वैश्विक तापमान की तुलना में हिमालयी क्षेत्र के तापमान में ज्यादा वृद्धि देखी जा रही है। इसके बहुत दूरगामी प्रभाव भी होंगे। हिमालयी क्षेत्र के तापमान में तेजी से वृद्धि भी जलवायु परिवर्तन में तेजी ला रही है। 

हिमालयी क्षेत्र भी पर्यावरण के दुष्प्रभाव से हो रहा है प्रभावित 

गढ़वाल विवि भूगोल विभाग के अध्यक्ष और कार्यशाला आयोजक प्रो. मदनस्वरूप सिंह रावत ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र भी पर्यावरण के दुष्प्रभाव से प्रभावित हो रहा है। प्राकृतिक संसाधनों के बेहिसाब और मनमाने दोहन पर रोक को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र के एकीकृत और समयकृत विकास को लेकर हमें दीर्घकालीन नीतियां भी बनानी होंगी। प्रो. मदनस्वरूप रावत ने कहा कि ग्लेशियर के पिघलने की दर बढ़ने से पूरा पर्यावरण तंत्र प्रभावित होता है। गढ़वाल विवि पौड़ी परिसर के निदेशक प्रो. केसी पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत किया। 

कुलपति रावत सम्मानित

एकेडमिक और शैक्षणिक प्रशासन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर कार्यशाला आयोजकों की ओर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय टिहरी के कुलपति प्रो. उदय ङ्क्षसह रावत को सम्मानित किया। मिश्रित वन और पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जगत सिंह चौधरी जंगली और केंद्र सरकार की वन सलाहकार समिति के सदस्य प्रो. एनपी टोडरिया को भी सम्मानित किया। 

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