मामूली बारिश में चट्टानों से दरकने लगे बोल्डर
लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड धुमाकोट की कार्यशैली के चलते नजीबाबाद-कोटद्वार-बुआखाल मार्ग पर यात्रियों का सफर काष्टदायी हो सकता है। दरअसल राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने जिस तरह अनियमित तरीके से सड़क चौड़ीकरण के लिए पहाड़ों में कटिग की उससे यात्रियों की जान खतरे में पड़ गई है।
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड धुमाकोट की कार्यशैली के चलते नजीबाबाद- कोटद्वार -बुआखाल मार्ग पर यात्रियों का सफर कष्टदायी हो सकता है। दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने जिस तरह अनियमित तरीके से सड़क चौड़ीकरण के लिए पहाड़ों में कटिग की, उससे यात्रियों की जान खतरे में पड़ गई है। मामूली बारिश में ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर चट्टानों से बोल्डर दरकने लगे हैं, जो बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकते हैं।
नजीबाबाद-कोटद्वार-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य 15 किमी के सफर में से करीब दस किमी की राह कब मौत की राह बन जाए, कहा नहीं जा सकता। इस पंद्रह किमी के हिस्से में एक दर्जन से अधिक स्थान ऐसे हैं जो डेंजर जोन की श्रेणी में शामिल हैं। बारिश होने के साथ ही चट्टानों के दरकने का सिलसिला शुरू हो जाता है व सड़क पर बड़े-बड़े बोल्डर गिरने लगते हैं। मार्ग की वर्तमान हालत को देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि इस मार्ग पर कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
राष्ट्रीय राजमार्ग की इस स्थिति के लिए पूरी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग खंड धुमाकोट ही जिम्मेदार है। मार्ग चौड़ीकरण के दौरान लोनिवि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने जिस अनियमित तरीके से चट्टानों का कटान किया, उससे पूरे मार्ग पर भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। अनियोजित कटान का ही परिणाम है कि जहां मामूली बारिश में ही चट्टानों से बोल्डर गिरने लगते हैं, वहीं सड़क कब, कहां से धंस जाए कहा नहीं जा सकता। साइन बोर्ड न सुरक्षा दीवार
कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य सड़क बेहद खस्ताहाल है। भूस्खलन के चलते डेंजर जोन बने स्थानों पर वर्षों से सुरक्षा के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए हैं। जहां पुश्ते बनाए गए हैं, वहां भी कामचलाऊ स्थिति है। यही नहीं, एनएच ने डेंजर जोन वाले स्थानों पर न तो साइन बोर्ड लगाना जरूरी समझा और न सुरक्षा के मद्देनजर सड़क किनारे लोहे के गार्डर लगाने की जहमत उठाई है। यह है डेंजर जोन
कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य तिलवाढांग वन उपज चौकी के समीप, पांचवें मील पर, लालपुल से जल संस्थान फिल्टर हाउस के मध्य, खोह नदी में बनी झील के समीप, दुर्गा देवी मंदिर के पास कई स्थानों पर भूस्खलन से सबसे खतरनाक स्थिति बनी है। इनके अलावा पूरे मार्ग पर करीब डेढ़ दर्जन स्थानों से गुजरना जोखिम भरा है। मौसम के मिजाज को देखते हुए तमाम विभागों को अलर्ट किया गया है। एनएच, लोनिवि सहित अन्य विभागों को डेंजर प्वाइंट चिह्नित कर बेहतर सुरक्षा उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। धीराज सिंह गब्र्याल, जिलाधिकारी, पौड़ी