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धधक रहे जंगल, सो रहा वन महकमा

सितंबर में मानसून की समाप्ति के बाद आमतौर पर ठंड का मौसम दस्तक देने लगता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 05:46 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:13 AM (IST)
धधक रहे जंगल, सो रहा वन महकमा
धधक रहे जंगल, सो रहा वन महकमा

संवाद सूत्र, बीरोंखाल: सितंबर में मानसून की समाप्ति के बाद आमतौर पर ठंड का मौसम दस्तक देने लगता है। मैदानी इलाकों के मुकाबले पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान में कमी रहती है। जिससे वनों में आग लगने की घटनाओं में भी कमी आती है। लेकिन, बीरोंखाल प्रखंड के अंतर्गत कई दिन से धधक रहे जंगल ग्रामीणों को हैरान कर रहे हैं। वन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिससे महकमे की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।

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प्रखंड के अंतर्गत अरकंडाई, फरसाड़ी, बैजरों, सुकई, जिवई व स्यूंसी आदि गांवों के जंगल पिछले दिनों में खाक हो चुके हैं। वहीं, रिखाड, धोबीघाट, केदारगली गांवों के अलावा पोखड़ा, दीवा व जिवई रेंज के कई जंगल अभी भी आग से धधक रहे हैं। नतीजतन, लाखों की वन संपदा खाक हो रही है। साथ ही प्रभावित गांवों में चारे का संकट खड़ा हो गया है।

बैजरों ग्रामसभा की प्रधान कौशल्या देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य राकेश नेगी व धनेश्वरी देवी आदि ने बताया कि वन विभाग की निष्क्रियता की वजह से हर वर्ष जंगलों में आग लगती है। हालांकि इस बार बारिश की वजह से इन घटनाओं पर रोक लग गई। अब एक बार फिर जंगल धधकने लगे हैं। ग्रामीण स्वयं ही अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, विभाग संसाधनों व कर्मचारियों की कमी का हवाला दे रहा है। वन क्षेत्राधिकारी राखी जुयाल ने बताया कि वन कर्मियों को आग पर काबू करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जंगलों में आग लगाने वालों की भी तलाश की जा रही है।


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