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नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी मामा को दस साल का कठोर कारावास

जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने नाबालिग बालिका से दुष्कर्म के दोषी को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा दस हजार का अर्थदंड भी लगाया है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 01:43 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 01:43 PM (IST)
नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी मामा को दस साल का कठोर कारावास
नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी मामा को दस साल का कठोर कारावास

पौड़ी, जेएनएन। जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने नाबालिग बालिका से दुष्कर्म के दोषी को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा दस हजार का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड जमा न करने पर छह माह की कठोर सजा भुगतनी होगी। बताया गया कि अभियुक्त रिश्ते में पीड़िता का मामा लगता है।

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मामला यमकेश्वर तहसील क्षेर्त्रांगत एक गांव का है। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले जिला शासकीय अधिवक्ता अवनीश नेगी ने बताया कि यमकेश्वर तहसील क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग बालिका 12 फरवरी 2018 से अपने घर से गायब हो गई। 

इस मामले में नाबालिग बालिका के पिता ने 20 फरवरी 2018 को राजस्व उप निरीक्षक तल्ला डांगू प्रथम के यहां अज्ञात के खिलाफ मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में 15 मार्च 2018 को यह मामला रेगुलर को सौंप दिया गया। रेगुलर पुलिस जांच में जुटी कि 23 मार्च 2018 को बालिका नटराज चौक ऋषिकेश में सुरेंद्र उर्फ मोहम्मद उमर पुत्र चैत्रमणी निवासी मालाकुंडी यमकेश्वर के साथ बरामद की गई। 

आरोप है कि आरोपी सुरेंद्र वर्षों पूर्व घर से भागकर सहारनपुर चला गया था। तथा पीडिता की मां से अक्सर फोन पर बात करते समय वह पीड़िता से भी बात किया करता था। पीड़िता के अपहरण के बाद अभियुक्त ने  पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। इसकी पुष्टि मेडिकल परीक्षण में भी हुई।

मामले में जिला जज एवं सत्र न्यायाधीश जीएस धर्मशक्तू की अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस और साक्ष्यों के अवलोकन के बाद सुरेंद्र उर्फ मोहम्मद उमर, निवासी माला कुंडी, यमकेश्वर को किशोरी के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया। साथ ही उसे पोक्सो एक्ट के तहत दस साल का कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा पीडि़ता के अपहरण में भी सात साल की सजा सुनाई गई। 

न्यायालय ने जिला शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को आदेश की प्रति मुहैया कराते हुए नालसा की योजना के तहत संयुक्त हस्ताक्षर के खाते से पांच लाख का प्रतिकर पीड़िता को देने के आदेश पारित किए। अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में दस गवाह पेश किए गए थे।

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