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व्यथा नारी की सिर्फ एक, ज्वा बणीं छै माटी-पाणी की..

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: सीता को माध्यम बना शोषित व उत्पीड़ित नारी समाज की कथा-व्यथा को प्रस्तुत कर

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 05:50 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 05:50 PM (IST)
व्यथा नारी की सिर्फ एक, ज्वा बणीं छै माटी-पाणी की..
व्यथा नारी की सिर्फ एक, ज्वा बणीं छै माटी-पाणी की..

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: सीता को माध्यम बना शोषित व उत्पीड़ित नारी समाज की कथा-व्यथा को प्रस्तुत करते भगवती प्रसाद जोशी 'हिमवंतवासी' के खंड काव्य 'सीता बणवास' पर आधारित नाट्य मंचन वर्तमान में जारी समाज की स्थिति पर कई सवाल छोड़ गया। सबसे बड़ा सवाल यही कि आखिर कब तक नारी पुरूषों के उत्पीड़न का शिकार होती रहेगी।

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कवि भगवती प्रसाद जोशी 'हिमवंतवासी' की पुण्यतिथि पर धाद लोकभाषा एकांश के तत्वावधान में आयोजित गढ़वाली साहित्य विमर्श के दौरान 'सीता बणवास' पर आधारित नाट्य का मंचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत आकाशवाणी के पूर्व केंद्र निदेशक चक्रधर कंडवाल, डॉ.पुष्कर नैथानी, बसंतप्रभा काला व धाद संस्था के संरक्षक डॉ.जगदंबा प्रसाद कोटनाला व अध्यक्ष जगमोहन सिंह बिष्ट ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर की। तदुपरांत कीर्तन मंडली की ओर से सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में जहां डॉ.पुष्कर मोहन नैथानी ने गढ़ साहित्यकार भगवती प्रसाद जोशी का साहित्यिक परिचय दिया, वहीं जगमोहन सिंह बिष्ट ने उनके कहानी संग्रह 'एक ढांगा की आत्मकथा'में Þकहानी में संवेदना और कहानी कौशलÞ पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि गढ़वाली भाषा में भगवती प्रसाद जोशी को मुंशी प्रेमचन्द समान स्थान दिया जा सकता है। कहा कि उनकी कहानियों में गढ़भाषा के प्रचलित आणा-पखाणों की भरमार देखने को मिलती है, जो उनके लेखन को प्रभावी बनाता है। कार्यक्रम के दौरान भगवती प्रसाद जोशी के पुत्र जोगेश्वर जोशी ने पिता के जीवन-वृत्त पर स्लाइड शो के माध्यम से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में भगवती प्रसाद जोशी द्वारा रचित खंडकाव्य 'सीता बणवास' पर एक नाट्य मंचन किया, जिसमें नाट्य कलाकार वीरेंद्र सिंह रावत ने धोबी व मालती गौड़ ने धोबन का किरदार निभाया। लोकगायक धर्मेंद्र रावत के निर्देशन में आयोजित इस नाट्य मंचन में नारी की दशा पर प्रकाश डाला गया। डा.जगदंबा प्रसाद कोटनाला ने गढ़वाली साहित्य की लोकधर्मिता और सीता बणवास पर विशेष प्रकाश डाला गया। साथ ही लोकधर्मी कला की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में साहित्यकार योगेश पांथरी, डॉ.नंदकिशोर ढौंढयाल, चक्रधर शर्मा 'कमलेश', नागेंद्र ध्यानी, अनु पंत, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रमोद रावत, धाद उपाध्यक्ष सोहन मैंदोला, सह सचिव राजेश खत्री, सांस्कृतिक सचिव सरिता मैंदोला, धाद की ताड़केश्वर इकाई के सचिव महेन्द्र जदली, मनोज घिल्डियाल, महिला सभा की सचिव माधुरी रावत के साथ ही भगवती प्रसाद जोशी की बेटियां, पुत्र व पुत्रवधू मौजूद रहे। संचालन सचिव रिद्धि भट्ट ने किया।


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