शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज बोले, विकास के नाम पर खत्म की गंगा की अविरलता
गोवर्द्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि विकास के नाम पर गंगा को दूषित एवं विकृत करने के साथ ही विलुप्ति के कगार पर भी पहुंचा दिया गया है।
श्रीनगर गढ़वाल [जेएएनएन]: गोवर्द्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि विकास के नाम पर गंगा को दूषित एवं विकृत करने के साथ ही विलुप्ति के कगार पर भी पहुंचा दिया गया है। गंदे नालों, बांध व सुरंग परियोजनाओं के नाम पर जिम्मेदारों ने गंगा को दूषित कर उसकी अविरलता भी समाप्त कर दी है। हरिद्वार के बाद तो गंगा तो सिर्फ नाम की ही रह गई है। टिहरी जैसे बड़े बांधों से लाभ कम और हानि ज्यादा है।
श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकारों ने अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए इन परियोजनाओं को क्रियान्वित कर गंगा को दूषित करने का ही कार्य किया है। गंगा तभी अविरल एवं स्वच्छ रह सकती है, जब बांधों का निर्माण और उद्योगों की गंदगी को गंगा में जाने से रोका जाए।
शंकराचार्य ने कहा कि देश में सत्तालोलुपता और अदूरदर्शिता की राजनीति हो रही है। ज्ञान-विज्ञान तक का आदर नहीं है। अदूरदर्शिता नीतियों का ही नतीजा है कि सीमाओं पर जवान शहीद हो रहे है।
कुछ संतों पर लग रहे आरोपों के बारे में शंकराचार्य ने कहा कि राजनीतिक दलों ने संतों को अपने प्रचार-प्रसार का माध्यम बना दिया है। यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं।
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