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Road Safety With Jagran: राजस्व बढ़ाना नहीं, जान बचाना है चालान का उद्देश्य

Road Safety With Jagran पौड़ी के पुलिस उपाधीक्षक विभव सैनी से दैनिक जागरण ने बातचीत की। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि चालान किए जाने का एकमात्र उद्देश्य आमजन को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना होता है।

By Ajay khantwalEdited By: Sunil NegiPublished: Sat, 26 Nov 2022 09:48 PM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2022 09:48 PM (IST)
Road Safety With Jagran: राजस्व बढ़ाना नहीं, जान बचाना है चालान का उद्देश्य
विभव सैनी, पुलिस क्षेत्राधिकारी ( यातायात )। जागरण

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: Road Safety With Jagran: डंडे के बल पर आप किसी से भी यातायात नियमों का अनुपालन नहीं करवा सकते। इसके लिए जरूरी है कि आमजन स्वयं यातायात नियमों को लेकर जागरूक रहे। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश दुर्घटनाएं ओवरलोडिंग अथवा ओवरस्पीड के चलते होती हैं। जनपद पौड़ी में इस वर्ष अभी तक 22 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 55 यात्रियों की मौत हुई, जबकि 54 घायल हुए। अधिकांश दुर्घटनाएं तेजी व लापरवाही के कारण हुई। दुर्घटना को कम करने के लिए पुलिस की ओर से किए गए प्रयासों के संबंध में 'दैनिक जागरण' ने जनपद पौड़ी के पुलिस उपाधीक्षक (यातायात) विभव सैनी से वार्ता की।

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सवाल : पुलिस की ओर से लगातार चालान किए जाते हैं, जिसका विरोध भी होता है। क्या आपको लगता है कि चालान करने से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी?

जवाब : बीते अक्टूबर माह में पंद्रह दिवसीय अभियान चलाया गया, जिस दौरान 117 ऐसे वाहन चालकों के चालान किए गए, जो ओवरलोडेड थे। स्पष्ट है कि यदि इन 117 वाहनों में एक भी दुर्घटनाग्रस्त होता तो बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता था। दरअसल, चालान को आमजन उत्पीड़न मानता है, जबकि चालान किए जाने का एकमात्र उद्देश्य आमजन को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना होता है।

सवाल: जनपद पौड़ी में सड़क सुरक्षा को लेकर किस तरह की कमी देखने को मिलती है?

जवाब : इसे जागरूकता की कमी कहें अथवा नियमों की जानकारी न होना, जिले में आमजन को स्वयं की जान की परवाह नहीं है। नतीजा, वाहनों में ओवरलोडिंग की समस्या बहुत अधिक रहती है व कई मर्तबा ओवरलोडिंग बड़ी दुर्घटनाओं का कारण भी बनती है। बीती चार अक्टूबर को हुई सिमड़ी बस दुर्घटना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। ऐसे में वाहन चालक-स्वामी के साथ ही आमजन को भी यह स्वयं सुनिश्चित करना होगा कि वाहन में क्षमता से अधिक सवारी न बैठे।

सवाल: वर्तमान में नाबालिग भी सड़कों पर दुपहिया लेकर दौड़ते नजर आते हैं, जबकि उन्हें यातायात नियमों की कोई जानकारी नहीं। ऐसे में किस तरह इन बच्चों को यातायात के नियम बताए जाते हैं?

जवाब : जिले में स्कूलों में पहुंच कर बच्चों को यातायात नियमों की जानकारी दी जाती है। जिले में अलग-अलग स्थानों पर स्कूली बच्चों की जूनियर ट्रैफिक फोर्स बनाई गई है। साथ ही महाविद्यालय के छात्रों को बतौर ट्रैफिक वालिंटियर के रूप में कार्य करवा कर उनके जरिये यातायात नियमों की जानकारी दिलवाई जाती है।

सवाल : कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं रात के वक्त होती हैं। इन दुर्घटनाओं में नशा एक बड़ा कारण रहता है। रात के वक्त पुलिस चेकिंग भी नहीं होती। ऐसे में रात्रि में होने वाली दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है?

जवाब : रात्रि में सड़कों में पर्याप्त रोशनी न होने के कारण चेकिंग संभव नहीं हो पाती। यदि किसी वाहन चालक को रोकने का प्रयास किया जाता है तो वह अंधेरे में भागने का प्रयास करता है, जिससे दुर्घटना होने का भय बना रहता है। बावजूद इसके नशे में वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती है। बीते माह चलाए गए अभियान में 11 ऐसे वाहन सीज किए गए, जिनके चालक नशे में थे।

सवाल : जिले में करीब साठ फीसद हिस्सा राजस्व क्षेत्र में है, जहां यातायात को लेकर वाहन चालक कतई जागरूक नहीं है। इन क्षेत्रों में बगैर लाइसेंस वाहन दौड़ाना सामान्य बात है। ऐसे में किस तरह राजस्व क्षेत्रों में यातायात जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है?

जवाब : इसके लिए शिक्षा विभाग के साथ मिलकर कार्य करना होगा। विद्यालयों में शिक्षक यातायात नियमों की जानकारी दें व नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ होने वाली कार्यवाही के बारे में बच्चों को बताएं।

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