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माचिस की इतनी तीलियों से बनाई केदारनाथ की प्रतिकृति

पौड़ी के शिक्षक पंकज सुंदरियाल ने माचिस की तीलियों से केदारनाथ की प्रतिकृति बनार्इ है। इसमें 18 हजार तीलियों का इस्तेमाल किया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 03:54 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 03:54 PM (IST)
माचिस की इतनी तीलियों से बनाई केदारनाथ की प्रतिकृति
माचिस की इतनी तीलियों से बनाई केदारनाथ की प्रतिकृति

पौड़ी, [जेएनएन]: पहाड़ी क्षेत्रों में पौराणिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों को संजोए रखने में काष्ठ कला काफी लोकप्रिय रही है। लेकिन, वक्त बदला तो इस विधा का भी ह्रास होता चला गया। ऐसे दौर में युवा शिक्षक पंकज सुंदरियाल माचिस की तीलियों के सहारे इस विधा को संजीवनी देने में जुटे हैं। पंकज अब तक माचिस की तीलियों से केदारनाथ मंदिर समेत कई ऐतिहासिक धरोहरों की प्रतिकृति बना चुके हैं। 

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पौड़ी जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चुठाणी में सहायक अध्यापक पंकज सुंदरियाल स्कूल की छुट्टी के बाद अथवा खाली वक्त अपनी कला को जीवंत करते हैं। पिछले तीन साल से वे केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने में जुटे थे, जिसमें अब जाकर सफलता मिली। इसमें उन्होंने 18 हजार तीलियों को इस्तेमाल किया है। पिछले दिनों पंकज केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति को लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे थे। 

इस दौरान जिलाधिकारी सुशील कुमार के अलावा सीईओ मदन सिंह रावत व डीईओ बेसिक कुंवर सिंह रावत ने उनकी कला की भूरि-भूरि प्रशंसा की। पंकज कहते हैं कि वह नई पीढ़ी को अपनी पारंपरिक काष्ठ कला से जोडऩा चाहते हैं। ताकि यह विधा रोजगार का विकल्प बन सके। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनर्निर्माण की दिशा में किए जा रहे कार्यों में एक उपलब्धि और जुड़ गई है। मंदिर के जिस दूसरे छोर पर तीर्थयात्री केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद उठा सकेंगे या फिर सुकून के साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं, वह स्थल आकार ले चुका है। इसका नाम अराइवल प्लाजा रखा गया है। 

यहां से उठा सकेंगे केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद

पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर लौटे भूविज्ञानी व उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एमपीएस रावत ने यह जानकारी दी। यूसैक निदेशक डॉ. बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर खास तौर पर केदारनाथ में मंदिर से मंदाकिनी-सरस्वती नदी के संगम तक बने 252 मीटर लंबे मार्ग का निरीक्षण किया गया। पूर्व में कार्यदायी संस्था लोनिवि को मार्ग पर स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों से बनी टाइल्स ही लगाने को कहा गया था।

निरीक्षण में पाया गया कि सभी टाइल्स स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों से ही बनी हैं। केदारनाथ मंदिर परिसर के मुख्य आकर्षण में से एक अराइवल प्लाजा पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बिष्ट ने कहा कि इसका पूरा क्षेत्रफल 64 वर्गमीटर है। इसके अलावा टेंपल प्लाजा व सेंट्रल प्लाजा भी आकार ले चुके हैं। उन्होंने तेजी से काम करने के लिए लोनिवि के अधीक्षण अभियंता मुकेश परमार, अधिशासी अभियंता प्रवीण कर्णवाल, सहायक अभियंता एलएम बेंजवाल, अवर अभियंता एमएस रावत की सराहना भी की। 

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