भारतीय संस्कृति में ही नारी का सम्मान सर्वोपरि
जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल आरएसएस के अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि पश्चि
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : आरएसएस के अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि पश्चिमी देशों के उपभोक्तावादी समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं है। कुछ समय से हमारे संस्कार और संस्कृति पर पश्चिमीवाद भी हावी हुआ है, जिससे विकृतियां बढ़ी हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से अदिति केंद्र सभागार में आयोजित विशाल मातृशक्ति सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता यह बातें कहीं।
मुख्य वक्ता अनिल ओक ने कहा कि पश्चिमी सभ्यता से ही भारतीय समाज और संस्कृति में विकार आ रहा है, जिसे रोकना होगा। भारतीय संस्कृति, परंपरा और संस्कारों के बल पर ही भारत ने विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त किया था। उन्होंने कहा कि विश्व में भारतीय संस्कृति और समाज में ही नारी का सम्मान सर्वोपरि माना जाता है। लिव इन रिलेशनशिप का विचार पश्चिमी सभ्यता की देन है। भारत में परिवार व्यवस्था, संस्कार और स्वदेशी का विचार, पर्यावरण, आध्यात्म का विचार महिलाएं ही दे सकती हैं। इस अवसर पर गढ़वाल केंद्रीय विवि में अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि स्त्री को माता के रूप में देखने का ²ष्टिकोण पूरे विश्व में केवल भारत का ही है। इसी से पता चलता है कि भारतीय संस्कृति में महिला का सम्मान सर्वोपरि होता है। पूर्व मिस यूनिवर्स अनुकृति गुसाईं ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि समाज और जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी है। महिला को अपनी शक्ति को जगाना होगा। उन्होंने कहा कि शस्त्र और शास्त्र दोनों में महिलाओं को निपुण होना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आरएसएस के सह प्रांत संघ चालक प्रो. राकेश भट्ट ने कहा कि संघ संस्कारित व्यक्ति का निर्माण करता है, जो आगे चलकर समाज के विकास में उपयोगी भी होता है। आरएसएस के विभाग कार्यवाह लोकेंद्र अणथ्वाल, विभाग प्रचारक चंद्रशेखर, जिला संघ चालक देवानंद बहुगुणा, जिला प्रचार प्रमुख संजय घिल्डियाल, भजन सिंह खत्री, मदनमोहन नौटियाल, प्रमिला भंडारी, भवानी रावत, अनुसूया पटवाल भी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे।