कूड़ा बना ग्रहण, शहरी बन पछता रहे ग्रामीण
संवाद सहयोगी कोटद्वार वर्ष भर पूर्व जब सनेह-भाबर क्षेत्र के गांवों को शहरों में शामिल किए
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: वर्ष भर पूर्व जब सनेह-भाबर क्षेत्र के गांवों को शहरों में शामिल किए जाने की कवायद चल रही थी तो ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि शहर में शामिल होते ही गांवों में स्ट्रीट लाइटें लग जाएंगे, सीवर बिछ जाएगी, कूड़े की गाड़ियां आकर चौराहों व घर-घर से कूड़ा एकत्र करेंगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। नगर निगम बोर्ड गठित हुए भले ही छह माह का समय हुआ हो, लेकिन नगर निगम गठित हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है और आज तक शहर में शामिल हुए कई गांवों में सड़क किनारे लगे कूड़े के ढ़ेर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही है।
नगर निगम बनने के दौरान शासन-प्रशासन की ओर से लोगों को नए वार्डों के बेहतर सुविधाओं का आश्वासन दिया था। गठन के बाद कुछ सप्ताह तक वार्डों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया। जगह-जगह चौराहों व सड़कों के किनारे कूड़ेदान लगवाए गए, समय बीतने के साथ ही स्थिति बिगड़ती चली गई व वर्तमान में हालात यह हैं कि पूरे क्षेत्र की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सड़कों के किनारे लगे कूड़े के ढेर निगम की सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।
दिवाकर लखेड़ा, महेश कुमार, शकुंतला देवी, मीना देवी सहित अन्य ने बताया कि नए वार्डों में लगे कूड़ेदान पूरी तरह भर चुके हैं, जिसके कारण कूड़ा सड़क पर फैला हुआ है। गंदगी से उठ रही दुर्गंध के कारण लोगों का सड़कों पर चलना भी दूभर हो गया है। यदि समय से कूड़ा नहीं उठाया गया तो स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। यही नहीं कई स्थानों पर नए वार्डां से भी कूड़ा नहीं उठ रहा। इसलिए हो रही परेशानी
कोटद्वार नगर निगम बनने वर्तमान में कोटद्वार नगर निगम में कुल 230 सफाई कर्मचारी तैनात हैं, जबकि निगम के एक वार्ड में कम से कम सात सफाई कर्मचारी होने अनिवार्य हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण वार्डों से कूड़ा नहीं उठ पा रहा। साथ ही निगम के पास कूड़ा उठाने के लिए कुल दो ही वाहन हैं।
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कर्मचारी व वाहनों की कमी के कारण समस्या हो रही है। कर्मचारियों को सफाई व्यवस्था पर लगाया गया है। जल्द ही समस्या का निराकरण कर लिया जाएगा।
सुनील कुमार, सफाई निरीक्षक, नगर निगम कोटद्वार