परवेज ने खून देकर गीतांजलि की जान बचाई, पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल के बेस अस्पताल में आइसीयू में भर्ती गीतांजलि को व्यापारी परवेज अहमद और तीन अन्य युवकों ने खून देककर जान बचाई।
श्रीनगर गढ़वाल, पौड़ी [जेएनएन]: आइसीयू (इनसेंटिव केयर यूनिट) में लेटी बहन के लिए रक्षा बंधन पर इससे बड़ा तोहफा क्या हो सकता है कि कोई अनजान उसकी जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान करके चला जाए। चमोली जिले के गैरसैंण की रहने वाली किशोरी गीतांजलि को कुछ ऐसा ही तोहफा दिया गोला बाजार के व्यापारी परवेज अहमद और तीन अन्य युवकों ने। परवेज ने इसकी पहल करते हुए न केवल गीतांजलि की जिंदगी बचाई, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी पेश की।
गैरसैंण निवासी कलम सिंह ने अपनी बेटी गीतांजलि को श्रीनगर स्थित बेस अस्पताल में भर्ती करा रखा है। गंभीर स्थिति को देखते हुए आइसीयू में उसका उपचार चल रहा है। बताया गया कि उसे लगभग तीन महीने पहले पीलिया हुआ था, तब से आए दिन वह बीमार रहने लगी। यह देखते हुए उसके पिता कलम सिंह 21 अगस्त को एनजीओ कार्यकर्ता रमेश आर्य की मदद से उसे श्रीनगर बेस अस्पताल लेकर आए थे।
रविवार सुबह डाक्टरों ने उसके परिजनों से एबी पॉजिटिव ग्रुप के दो यूनिट ब्लड का इंतजाम करने को कहा। लेकिन, तमाम प्रयास के बाद भी उनके लिए यह आसान नहीं हुआ। परिजन खून के लिए भटक रहे थे, तभी गोला बाजार निवासी परवेज अहमद को सोशल मीडिया के जरिये से पता चला कि खून न मिलने की वजह से गीतांजलि की जिंदगी खतरे में हैं।
इस पर परवेज सीधे बेस अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे और उन्होंने रक्तदान किया। थोड़ी ही देर बाद तीन अन्य युवकों सूरज नेगी, शिवशंकर रतूड़ी और अनिल कुमार ने भी अस्पताल पहुंचकर गीतांजलि की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान किया। पहले परवेज और उसके बाद तीन अन्य युवकों की खून देने के लिए बेताबी किशोरी के परिजनों की आंखें भर आई।
परिजनों ने उनकी मुक्त कंठ से सराहना की। कहा कि, गीतांजलि की जिंदगी बचाने के लिए किए गए इस सहयोग को वह कभी भूल नहीं पाएंगे। रक्षाबंधन पर अनजान भाइयों की तरफ से गीतांजलि के लिए इससे बड़ा कोई और तोहफा नहीं हो सकता। परवेज की गोला बाजार में दुकान है, वह सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं।
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