एक नजर डाले चंदौली जिले के माटी गांव के विज्ञानी डॉ. धर्मेद्र त्रिपाठी के सफर पर..
हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका की इंटरनेशनल क्रेडिटिंग एजेंसी ने दुनिया के शीर्ष 500 विज्ञानियों की सूची जारी की जिसमें देश के डॉ. धर्मेद्र त्रिपाठी को 375वां स्थान मिला है। एक नजर चंदौली जिले के माटी गांव के इस विज्ञानी के सफर पर..
एनके खंडूड़ी, श्रीनगर-गढ़वाल। भारत को विज्ञानियों की भूमि भी कहा जाता है। देश ने दुनिया को कई विज्ञानी दिए हैं। इसी सूची में एक और नाम शामिल हो गया है, डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी। बनारस से 25 किमी दूर चंदौली जिले के माटी गांव में जन्मे इस युवा ने कड़े परिश्रम और आत्मविश्वास के बल पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विज्ञानियों की सूची में स्थान बनाया है। फिलवक्त राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) श्रीनगर-गढ़वाल के गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. धर्मेंद्र को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सटिी अमेरिका की इंटरनेशनल क्रेडिटिंग एजेंसी ने विश्व के विज्ञानियों की रैंकिंग में 375वां और देश के शीर्ष विज्ञानियों की रैंकिंग में छठा स्थान दिया है।
माटी गांव के इंटर कॉलेज के होनहार छात्र रहे धर्मेंद्र के पिता बैजनाथ त्रिपाठी इसी विद्यालय से इतिहास शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि मां हीरामनी गृहिणी हैं। उनकी पत्नी सुलेखा त्रिपाठी भी गणित विषय से एमएससी हैं। डॉ. धर्मेद्र का शिक्षा से लगाव शुरू से रहा, खासकर गणित विषय से। इंटर कॉलेज माटी से 72 प्रतिशत अंकों के साथ दसवीं उत्तीर्ण करने वाले धर्मेंद्र इस विद्यालय के टॉपर भी रहे हैं। इसके बाद उन्होंने 56 प्रतिशत अंकों के साथ इंटर, वर्ष 2002 में उदय प्रताप पीजी कॉलेज बनारस से 62 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी और वर्ष 2004 में बनारस हिंदू यूनिवर्सटिी से 63 प्रतिशत अंकों के साथ एमएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2005 से धर्मेंद्र ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बीएचयू के प्रो. संजय कुमार पांडे के निर्देशन में पीएचडी के लिए मैथमेटिकल मॉडलिंग पर शोध कार्य शुरू किया, जो वर्ष 2009 में पूरा हुआ। शोध के माध्यम से उन्होंने बताया कि गणितीय आकलन से किसी समस्या के निदान तक पहुंचने के लिए फिजिकल पैरामीटर किस प्रकार सहायक होते हैं।
विश्व के प्रतिष्ठित विज्ञान जर्नलों में प्रकाशित हुए 130 रिसर्च पेपर : धर्मेंद्र बताते हैं कि बायोलॉजी में गणित के उपयोग को देख धीरे-धीरे शोध क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ती गई। सो, वर्ष 2010 से 2019 तक उन्होंने शरीर में रक्त प्रवाह, यूरिन फ्लो, मुंह से पेट तक भोजन के पहुंचने की प्रक्रिया, अतिसूक्ष्म कणों (नैनो फ्लूड्स), बोन मैकेनिक्स विषय पर शोध कार्य किए। इस दौरान उनके 130 रिसर्च पेपर विश्व के प्रतिष्ठित विज्ञान जर्नलों में प्रकाशित हुए।सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी के क्षेत्र में कार्य करने की तमन्ना: डॉ. धर्मेद्र बताते हैं इंटरनेशनल क्रेडिटिंग एजेंसी की ओर से दी गई रैंकिंग से उन्हें शोध कार्य को और बेहतर गुणवत्ता के साथ आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिली है। वह कहते हैं, पहाड़ में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। इसलिए सब-कुछ अनुकूल रहने पर वह भविष्य में यहां सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी के क्षेत्र में भी शोध कार्य करना चाहते हैं, ताकि पहाड़ को इसका लाभ मिल सके।