बुलेट ट्री को पहाड़ चढ़ाने की तैयारी, 20 साल में तैयार होता है ये पेड़
बुलेट वुड ट्री अब जल्द ही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में भी नजर आएगा। यह बहुमूल्य इमारती लकड़ी के साथ ही बहुउपयोगी मेडिसनल वृक्ष भी है
By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 07 Feb 2018 02:14 PM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 09:31 PM (IST)
v style="text-align: justify;">श्रीनगर गढ़वाल, [एनके खंडूड़ी]: समुद्र तटीय क्षेत्रों में बहुतायत में पाया जाने वाला बुलेट वुड ट्री (माइमोसॉप्स इलेंगई) जल्द ही उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में भी नजर आएगा। शोध के बाद गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के वानिकी विभाग की नर्सरी में यहां के वातावरण के अनुकूल बुलेट वुड ट्री की पौध तैयार कर ली गई है। बहुमूल्य इमारती लकड़ी के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर यह पेड़ लगभग 20 साल में तैयार होता है।
वरिष्ठ वानिकी विशेषज्ञ डॉ. अजीत सिंह के दिशा-निर्देशन में विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग की नर्सरी में इस पेड़ की नर्सरी तैयार करने पर शोध चल रहा है। अब इसकी पौध को श्रीनगर के साथ ही गढ़वाल के अन्य हिस्सों में भी रोपा जाएगा। डॉ. सिंह के अनुसार आगामी वर्षाकाल तक पौधे रोपण के लिए तैयार हो जाएंगे। इसे कुछ किसानों को भी रोपण के लिए दिया जाएगा। बताया कि बहुत धीमी गति से बढ़ने वाली प्रजाति के इस पेड़ की उम्र 60 से 80 साल मानी जाती है। हिंदी में इस पेड़ को 'मौलसिरी' कहा जाता है।
बहुमूल्य इमारती और मेडिसनल प्लांट भी
बुलेट वुड ट्री बहुमूल्य इमारती लकड़ी के साथ ही बहुउपयोगी मेडिसनल वृक्ष भी है। डॉ. अजीत सिंह बताते हैं कि एलोपैथी के साथ ही आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति से होने वाले उपचार के लिए इसके फूल औषधि बनाने में इस्तेमाल किए जाते हैं। जाहिर है यह पेड़ किसानों के लिए आय का बेहतर जरिया साबित हो सकता है। इसके फूल परफ्यूम बनाने में भी काम आते हैं। लगभग 20 साल बाद पेड़ पर लगने वाले फल का उपयोग औषधि के रूप में ज्यादा होता है।
बंजर भूमि को भी करेगा हरा-भरा
पहाड़ की बंजर जमीनों में बुलेट वुड ट्री उगाने को लेकर भी गढ़वाल केंद्रीय विवि के वानिकी विशेषज्ञ डॉ. अजीत सिंह शोध कर रहे हैं। उनको भरोसा है कि अगले चरण में पहाड़ की बंजर जमीन में भी इसे लगाने में सफलता मिलेगी। ढलानों की मिट्टी पर अच्छी पकड़ रखने वाला यह पेड़ भूस्खलन रोकने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
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