यहां एक अदद रास्ता नहीं, सड़क की उम्मीदों को कैसे लगेंगे पंख
पौड़ी जिले के दैड़ा गांव के ग्रामीणों को अपने गांव तक पहुंचने के लिए सड़क से करीब दस किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है।
पौड़ी, जेएनएन। डिजिटल इंडिया के इस दौर में जहां लोग चांद पर घर बसाने की बात कर रहे हैं, वहीं आज भी दैड़ा गांव के ग्रामीणों को अपने गांव तक पहुंचने के लिए सड़क से करीब दस किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं जिस राह से उन्हें गांव पहुंचना पड़ता है वह भी कोई सीसी मार्ग वाला रास्ता नहीं, बल्कि अंग्रेजों के जमाने की पगडंडी वाला रास्ता है। परेशान ग्रामीणों ने सरकार से गांव तक मार्ग को दुरुस्त करने की मांग की है।
जिला मुख्यालय से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित है विकासखंड थलीसैंण के चौथान पट्टी का दैड़ा गांव। स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा समय में गांव में 50 से अधिक परिवार रहते हैं। गांव में सुविधाओं का हाल यह है कि ग्रामीणों को आज भी अपने दैनिक आवश्यकताओं को लेने के लिए दस किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर थान, जगतपुरी बाजार पहुंचना पड़ता है।
ग्रामीण इस बात से ज्यादा दुखी हैं कि जब इस गांव को एक अदद पक्का रास्ता आज तक नहीं मिल पाया तो सड़क की उम्मीदों को कब पंख लगेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। ग्रामीण व सामाजिक कार्यकर्ता बलवीर जैंतवाल बताते हैं कि गांव को जाने वाले मार्ग की बदहाल स्थिति से सब परेशान हैं।
कहा कि राज्य गठन के इतने साल बाद भी किसी भी सरकार ने इस गांव की सुध नहीं ली। ग्रामीण आज भी पगडंडियों से आवाजाही करने को मजबूर हैं। वहीं गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीणों को इसी पैदल मार्ग से बूंगीधार या फिर थलीसैंण का रुख करना पड़ता है।
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह भंडारी बताते हैं कि चौथान में कई गांव ऐसे हैं, जहां आज तक सड़क मार्ग की सुविधा मुहैया नहीं हो सकी है। समिति के सचिव धन सिंह बिष्ट व सामाजिक कार्यकर्ता भीम सिंह रावत का कहना है कि चौथान एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जहां पलायन कम हुआ, लेकिन पैदल मार्गों का न होना पलायन रोकने के दावों को पोल खोलने जैसा है। ग्रामीणों ने सरकार से गांव को जाने वाले मार्ग को दुरुस्त करवाने की मांग की है। कहा कि मार्ग के सुदृढ़ होने से ग्रामीणों को आवाजाही करने में काफी सहूलियत मिलेगी।
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