नरक चतुर्दशी पर, सूर्योदय से पूर्व करें स्नान
जागरण संवाददाता कोटद्वार धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पूर्व शरीर
जागरण संवाददाता, कोटद्वार
धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पूर्व शरीर में तेल लगाकर स्नान करने के बाद यमराज को दीपदान करने से मनुष्य की अकाल मृत्यु टल जाती है। शनिवार को नरक चतुर्दशी है, जिसे छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार प्रकाश पंच महोत्सव के तहत शनिवार का दिन नरक चतुर्दशी के नाम है। कथाओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार किया था। पुराणों के अनुसार, रति देव नामक एक धर्मात्मा राजा ने दानपुण्य में जीवन बिताया। राजा को अपने जीवन में किया गया कोई पाप याद नहीं था। अंतिम समय में यमदूत राजा को नरक में ले जाने के लिए आ गए। राजा ने उनसे नरक में ले जाने का कारण पूछा तो यमदूतों ने बताया कि एक ब्राह्मण उनके द्वार से भूखा लौट गया था, जिस पाप के प्रतिफल में उन्हें नरक मिला है।
पाप से मुक्ति के लिए अनुनय करने पर यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की समय दिया। पाप मुक्ति के लिए राजा ऋषियों की शरण में गए, जहां ऋषि-मुनियों ने उन्हें काíतक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत कर ब्राह्मणों को जिमाने की सलाह दी। ऋषि-मुनियों के सलाह के अनुरूप राजा ने ब्राह्मणों को भोग लगाया व अपने अपराध की क्षमा मांगी। जिसके बाद राजा पाप मुक्त हुआ और उन्हें विष्णुलोक में स्थान मिला।
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यह है विधान
ज्योतिषविद् पं. पद्मादत्त लखेड़ा बताते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिए व स्नान के उपरांत शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। रात्रि में यम के नाम दक्षिण दिशा की ओर दीपदान करें।