सेंट्रल,,,सर्वोदय नेता मान सिंह नहीं रहे
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: जीवन पर्यत गांधी के दर्शन को अंगीकार कर सादगी भरा जीवन जीने वाले
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: जीवन पर्यत गांधी के दर्शन को अंगीकार कर सादगी भरा जीवन जीने वाले सर्वोदयी नेता और प्रतिष्ठित जमना लाल पुरस्कार विजेता मान सिंह रावत ने बुधवार देर शाम दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने हल्दूखाता स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वह 91 साल के थे। उनके परम सहयोगी शिक्षाविद् विनोद चंद्र कुकरेती ने बताया कि रावत का अंतिम संस्कार गुरुवार को कोटद्वार में होगा।
ढांगू क्षेत्र के कैंडुल में जन्मे मान सिंह रावत का बचपन बेहद गरीबी में बीता। आजादी के संग्राम में महात्मा गांधी की प्रेरणा से असहयोग आंदेालन में कूदे तो समय भी उनके साथ कदमताल करने लगा। आजादी मिली तो समाज को नया दर्शन देने की हूक ने इस मनीषी को महामना बनने की शपथ ले ली। विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जुड़कर लोगों को भूमि दान के लिए प्रेरित करते रहे। गांधीवादी जीवन दर्शन रहा तो कौसानी स्थित सरला बहन के आश्रम से शशिप्रभा को सहधर्मिणी बनाकर आजीवन गांधी के दर्शन को आगे बढ़ाने में लगे रहे। वर्ष 1953 में टाटा इंस्टीट्यूट से कंपनी प्रबंधन की डिग्री लेने के बाद उन्हें अमेरिका में नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने गांधी के सपनों के भारत की परिकल्पना के लिए देश में गरीब और मजलूमों के बीच ही रहकर सेवा को अपना धर्म माना। 24 जनवरी 1928 को जन्मे रावत ने आजीवन नशे के खिलाफ आंदोलन चलाया। यहां तक कि उन्होंने गांधी से संपर्क के बाद चाय तक नहीं पी। सादगी और परोपकार की प्रतिमूर्ति रहे रावत को वर्ष 2015 में प्रतिष्ठित जमना लाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गढ़वाल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष सुरेंद्र लाल आर्य ने बताया कि मान सिंह रावत ने पुरस्कार के रूप में मिले दस लाख रुपये भी समाज सेवा में लगाने की घोषणा कर दी थी।