नहरें क्षतिग्रस्त, कैसे हो फसलों की सिचाई
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: गत वर्ष बरसात के दौरान क्षतिग्रस्त हुई सिचाई नहरों की मरम्मत नहीं होने से का
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: गत वर्ष बरसात के दौरान क्षतिग्रस्त हुई सिचाई नहरों की मरम्मत नहीं होने से काश्तकारों के खेत-खलिहान सूखने लगे हैं। क्षतिग्रस्त नहरों से खेतों तक पानी नहीं पहुंचने से खेत बंजर होते जा रहे हैं। शिकायत के बाद भी समस्या का निराकरण नहीं होने पर काश्तकारों ने रोष जताया है। कहा कि काश्तकारों की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कोटद्वार व भाबर क्षेत्र के अधिकांश लोग खेती पर ही निर्भर हैं। सिचाई के लिए सनेह क्षेत्र के काश्तकारों को पूर्वी खोह नदी व भाबर के काश्तकारों को मालन नदी से पानी मुहैया करवाया जाता है। लेकिन, पिछले कई माह से सिचाई नहर बदहाल पड़ी हुई हैं। जिम्मेदार सिस्टम की लापरवाही के कारण काश्तकारों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। खेतों में पानी नहीं पहुचंने से अधिकांश काश्तकरों की फसल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है। झंडीचौड़ के पार्षद सुखपाल शाह ने बताया कि मेहनत करने के बाद भी काश्तकारों को खेती का फायदा नहीं मिल पा रहा। काश्तकारों की समस्या को लेकर कई बार शासन-प्रशासन को भी अवगत करवा चुके हैं। लेकिन, अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। काश्तकारों ने जल्द समस्या का निराकरण नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
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सिचाई नहरों के क्षतिग्रस्त स्थिति को लेकर काश्तकारों की शिकायत मिली थी, इस संबंध में सिचाई विभाग को निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही समस्या का निराकरण कर लिया जाएगा।
योगेश मेहरा, उपजिलाधिकारी