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पहाड़ में सेवा करने के बजाय बांड से मुक्ति ली

पहाड़ में सेवा करने के बजाय डॉ. महिमा अग्रवाल ने अनिवार्य बांड के बजाय पैसे भ्देना मुनासिब समझा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 10:50 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 06:20 AM (IST)
पहाड़ में सेवा करने के बजाय बांड से मुक्ति ली
पहाड़ में सेवा करने के बजाय बांड से मुक्ति ली

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : पहाड़ में सेवा करने के बजाय डॉ. महिमा अग्रवाल ने अनिवार्य सेवा करने संबंधी बांड से मुक्ति को प्राथमिकता दी। इसके लिए उन्होंने 19 लाख 52 हजार 934 रुपये बांड की धनराशि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में जमा कर दी। बांड की सेवा शर्तों के अनुसार उन्हें तीन वर्षों के लिए पहाड़ के अस्पताल में सेवा देनी थी। अब तक सात लोग इसी प्रकार से पूरी फीस भरकर पहाड़ में सेवा करने से इन्कार कर चुके हैं।

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श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में डॉ. महिमा अग्रवाल एमबीबीएस 2014 बैच की मेडिकल छात्रा रही हैं। वह मूलरूप से रुड़की की रहने वाली हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत ने कहा कि डॉ. महिमा अग्रवाल द्वारा सेवा शर्तों से संबंधित बांड से मुक्त होने को लेकर आवेदन किया गया था। जिसके लिए उसने बांड की सेवा शर्तों के अनुसार धनराशि जमा की। जिस पर उन्हें बांड से मुक्त कर दिया गया है।

प्रदेश के राजकीय मेडिकल कालेजों में राजकीय शुल्क पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्र-छात्राओं को डॉक्टर बनने पर तीन साल के लिए पहाड़ के अस्पतालों में ही सेवा करना अनिवार्य है जिसके लिए उन्हें एमबीबीएस में प्रवेश के समय सेवा शर्तों संबंधी एक बांड भी भरना होता है। जिस आधार पर उन्हें बहुत कम शुल्क के साथ एमबीबीएस की पढ़ाई की सुविधा मिल जाती है। लेकिन, देखने में आ रहा है कि एमबीबीएस की डिग्री लेने के उपरांत बांड भरने वाले डॉक्टर बांड को तोड़ने पर निर्धारित की गयी बड़ी धनराशि जमा करने को प्राथमिकता देते हुए पहाड़ में सेवा करने के इच्छुक नहीं रहते हैं।


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