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केदारनाथ से बड़ी त्रासदी को निमंत्रण है पर्यावरण की अनदेखी : चंडी प्रसाद भट्ट

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्म विभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जिस प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यावरण की अनदेखी कर निर्माण कार्य हो रहे हैं वह गंभीर चिंता का विषय है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 12:57 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 12:57 PM (IST)
केदारनाथ से बड़ी त्रासदी को निमंत्रण है पर्यावरण की अनदेखी : चंडी प्रसाद भट्ट
केदारनाथ से बड़ी त्रासदी को निमंत्रण है पर्यावरण की अनदेखी : चंडी प्रसाद भट्ट

पौड़ी, जेएनएन। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्म विभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि विकास के लिए जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण जरूरी है, लेकिन इसके लिए पर्यावरणीय दृष्टिकोण को भी अपनाया जाना चाहिए। जिस प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यावरण की अनदेखी कर निर्माण कार्य हो रहे हैं, वह गंभीर चिंता का विषय है। कहा कि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो केदारनाथ में आई त्रासदी से बड़ी त्रासदी पूरे पहाड़ी क्षेत्र को अपने आगोश में ले सकती है।

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गढ़वाल विश्व विद्यालय के पौड़ी परिसर में रविवार को भूगोल विभाग की ओर से 'हिमालय, पर्यावरण एवं विकास' विषय पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत हुई। इस दौरान अपने संबोधन में पद्म विभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि पहाड़ में पहले बाघ और भालू का भय होता था, लेकिन अब भूस्खलन खौफ पैदा कर रहा है। पर्यावरण मानकों की अनदेखी कर पहाड़ी क्षेत्रों में विकास को मूर्तरूप देना काफी खतरनाक है। कहा कि पर्यावरण को ग्लोबल वार्मिंग से ज्यादा खतरा आज लोकल वार्मिंग से पैदा हो गया है। भट्ट ने चेतावनी वाले लहजे में कहा कि अगर हिमालय में गड़बड़ी हुई तो पूरे देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। 

इसलिए हिमालय को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारों को ठोस पहल करनी होगी। सेमीनार के पहले विभिन्न राज्यों से आए विषय विशेषज्ञों ने पर्यावरण की अनदेखी से पैदा होते हालात और संरक्षण के लिए सभी का आगे आने का आह्वान किया। कहा कि सरकारों को भी इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना बनानी होगी। इस मौके पर पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली, मैती आंदोलन के कल्याण सिंह रावत, विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल,  प्रो. एसके बंसल (रोहतक), प्रो. बीएल तेली (अजमेर), प्रो. वीपी सती (मिजोरम), प्रो. वैंकट सुब्रमण्यम (तमिलनाडु), प्रो. बीसी वैद्य (दिल्ली) उपस्थित थे।

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