समाज के लिए उसकी विरासत अमूल्य
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से संविधान के मौलिक कर्तव्यों और अधिकारों को लेकर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से संविधान के मौलिक कर्तव्यों और अधिकारों को लेकर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। राष्ट्रीय विरासत एवं नागरिकों की जिम्मेदारी को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में गढ़वाल केंद्रीय विवि के हिमालयन पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय पर बनायी गयी डॉक्यूमेंट्री भी विशेष रूप से दिखाई गयी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और गढ़वाल विवि इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. संतन सिंह नेगी ने विरासतों और धरोहरों के संरक्षण पर जोर देते उनके लिए सरकार से बनाए गए विभिन्न कानूनों की जानकारियां भी दीं। इसी क्षेत्र में यूनेस्को से किए जा रहे कार्यों के बारे में उन्होंने कहा कि समाज और देश के लिए उसकी विरासत अमूल्य भी होती है। हमारे देश में कई स्मारक अभी भी अज्ञात और असुरक्षित हैं। इन अमूल्य विरासतों को सरकार को सुरक्षित रखना चाहिए। गढ़वाल विवि इतिहास विभाग के प्रोफेसर और पुरातत्ववेत्ता डॉ. आरसी भट्ट ने संग्रहालय की विभिन्न वस्तुओं, कलाकृतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1980 में संग्राहालय के संस्थापक स्व. केपी नौटियाल के भगीरथ प्रयासों से इसकी स्थापना हुई है। जिसमें सात वीथिकाएं हैं। वर्ष 2002 में गढ़वाल विवि इतिहास पुरातत्व विभाग के शोधकर्ताओं को मलारी गांव में से मिले लगभग पांच ग्राम सोने का बना मुखौटा भी इसी संग्रहालय में है। प्रो. भट्ट ने कहा कि यह लगभग 2200 साल पुराना है। मोहन नैथानी की डाक्यूमेंट्री भी प्रतिभागियों को दिखाई गयी। गढ़वाल केंद्रीय विवि के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों के प्रति संवेदनहीनता की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए संवेदनशील और जागरूक नागरिक बनने की सलाह दी। इस मौके पर प्रो. सेमवाल, डॉ. जेपी भट्ट मौजूद रहे।