सड़क नहीं बनने से पचास परिवार गांव छोड़ गए
जयहरीखाल ब्लाक के अंतर्गत मलाणा व गुजरखंड के ग्रामीण पिछले दो दशक से सड़क का इंतजार कर रहे हैं।
रोहित लखेड़ा, कोटद्वार: जयहरीखाल ब्लाक के अंतर्गत मलाणा व गुजरखंड के ग्रामीण पिछले दो दशकों से अपने गांवों को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। हाल यह है सड़क नहीं बनने से पचास परिवार गांव भी छोड़ चुके हैं। शुभ काम करने के लिए भी इन ग्रामीणों को सतपुली या कोटद्वार जाना पड़ता है। हालांकि गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब शायद उनके गांव सड़क से जुड़ जाएं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत वर्ष 2012 में चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। उस दौर में भी दोनों गांवों के वाशिदे तत्कालीन विधायक से अपने गांवों को सड़क से जोड़ने की मांग करते रहते थे। दरअसल, आज भी मलाणा व गुजरखंड गांवों के ग्रामीण सतपुली-घेरूवा मोटर मार्ग पर घेरूवा बस स्टैंड से करीब पांच किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ अपने गांव पहुंचते हैं। गांव में न तो शिक्षा की सुविधा है और न ही स्वास्थ्य सुविधा। नतीजा, गांव से लगातार पलायन जारी है। एक दशक पूर्व तक जिस मलाणा व गुजरखंड गांव में सौ से अधिक परिवार हुआ करते थे, अब गांव में मात्र पचास परिवार ही रह गए हैं। ग्रामीण जनार्दन प्रसाद जुयाल व दिगंबर प्रसाद जुयाल ने बताया कि ग्रामीणों की परेशानी से मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भली-भांति परिचित हैं व ग्रामीणों को उम्मीद है कि वे उनकी मांग को गंभीरता से लेंगे। यह हो रही परेशानी
सड़क नहीं होने के कारण आज भी उन्हें मरीजों को डोली के सहारे मुख्य सड़क पर लाना पड़ता है। दवा की एक गोली को भी ग्रामीण सतपुली की दौड़ लगाते हैं। इतना ही नहीं, मुख्य सड़क से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज घेरूवा तक पहुंचने के लिए दर्जनों गांव के बच्चों को खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। कुछ वर्ष पूर्व गांव के इस स्कूल में करीब पांच सौ बच्चे पढ़ते थे, लेकिन अब यह संख्या केवल दो सौ ही रह गई है। विद्यालय में मलाणा के साथ ही घेरूवा, कांडई, टसीला, स्यालनी, भटवाड़ी, गुजरखंड, चौंडई के बच्चे पढ़ रहे हैं।
गांव नहीं आते मेहमान
ग्राम मलाणा व गुजरखंड में सड़क सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीण खुद को दुनिया से कटा हुआ महसूस करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने के कारण गांव में नाते-रिश्तेदार आने से भी कतराते हैं। गांव तक सड़क न होने के कारण शादी या अन्य शुभ कार्य उन्हें सतपुली या कोटद्वार में बरातघर बुक कर करने पड़ते हैं।