मदद को बढ़ाए हाथ, मिली रोटी और रोजगार
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के सीमावर्ती गांवों से बड़ी तादाद में कामगार रोजगार की तलाश में कोटद्वार पहुंचते हैं।
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के सीमावर्ती गांवों से बड़ी तादाद में कामगार रोजगार की तलाश में कोटद्वार पहुंचते हैं। साथ ही कई पशुपालकों की दो वक्त की रोटी भी कोटद्वार पर निर्भर है। कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन हुआ तो इन कामगारों के साथ ही पशुपालकों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में उप जिलाधिकारी योगेश मेहरा ने ऐसी व्यवस्था बनाई, जिससे कोरोना संक्रमण पर रोकथाम के साथ ही इन परिवारों को रोटी भी मुहैया हो सके। इसके लिए उन्होंने पास की व्यवस्था की।
लॉकडाउन के कारण आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया था। कई परिवारों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही थी। उन्हें इंतजार था कि सरकार लॉकडाउन में थोड़ी छूट दे ताकि वे रोजगार कर रोटी का जुगाड़ कर सकें। यूं तो प्रशासन की ओर से जरूरतमंदों को भोजन के साथ ही कच्चा अनाज भी मुहैया कराया जा रहा था, लेकिन कई परिवारों के लिए वह नाकाफी साबित हो रहा था। लॉकडाउन में ढील के बाद भी सीमाएं सील थी, लेकिन बिजनौर क्षेत्र से आने वाले कामगारों व दूध विक्रेताओं ने रोटी की खातिर कोटद्वार की दौड़ लगानी शुरू कर दी। प्रशासन को भी आमजन की इस परेशानी का आभास था। ऐसे में रोजगार के लिए आ रहे इन ग्रामीणों को रोके बिना कोरोना संक्रमण को रोकना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया।
उप जिलाधिकारी योगेश मेहरा ने क्षेत्र की सीमाओं में बिजनौर जिले की ओर से आ रहे कामगारों के पास बनाने की व्यवस्था लागू की। साथ ही इनके कोरोना टेस्ट भी कराए गए। प्रयास यह हुआ कि कोटद्वार पहुंचने वाले कामगारों को रोजगार के साथ ही अनाज भी मुहैया हो जाए ताकि उनकी प्रतिदिन की आवाजाही पर रोक लग सके। साथ ही इन कामगारों से काम लेने वाले ठेकेदारों को भी इन्हें पूरी दिहाड़ी देने के निर्देश जारी किए गए। इससे कामगारों की गाड़ी की पटरी पर लौटने लगी।
फसल भी खराब होने से बची
कोटद्वार क्षेत्र के कई काश्तकारों की भूमि सीमा से सटे बिजनौर जनपद के विभिन्न गांवों में हैं। लॉकडाउन के दौरान इन काश्तकारों के खेतों में पकी गेहूं की फसल कटान नहीं होने के कारण खराब होने के कगार पर पहुंच गई। ऐसे में उप जिलाधिकारी योगेश मेहरा ने काश्तकारों की परेशानी को समझते हुए फसल काटने की व्यवस्था बनाई। इसके तहत काश्तकारों की फसल काटने के लिए पास जारी किए गए व जिस वाहन से फसल को लाया जाता था। सीमा पर स्थित कौड़िया चेक पोस्ट पर वाहन पर दूसरे चालक की व्यवस्था की जाती थी।