अंधविश्वासी न होने की सीख दे गया बुढि़या का सपना
जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में आयोजित बाल नाट्य उत्सव के दूसरे दिन बुढि़या का सपना नाटक का मंचन दर्शकों में आकर्षण का केंद्र भी बना रहा। अधिक अंधविश्वास से होने वाले नुकसान के बारे में कलाकारों ने नाटक के माध्यम से प्रस्तुति दी गयी। इससे पूर्व गढ़वाल विवि लोक कला संस्कृति निष्पादन केंद्र के डा. संजय पांडे, डा. अजीत पंवार, डा. कुलिन जोशी, विनय किमोठी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर नाटक का शुभारंभ किया गया।
ललित सिंह पोखरिया द्वारा लिखित एवं मधुसूदन पांडे एवं वीरेंद्र कुमार द्वारा निर्देशित बुढि़या का सपना नाटक गांव के लोगों पर आधारित है। कथानक के अनुसार गांव के लोग अंधविश्वास के कारण एक बुढि़या के जाल में फंस जाते हैं। उसे वह देवी का रूप समझकर हर महीने रुपए पैसे देते हुए अपनी आर्थिकी को भी कमजोर करते हैं। इससे उनके सम्मुख एक दिन भारी आर्थिक संकट भी खड़ा हो जाता है और वह भुखमरी की कगार पर भी पहुंच जाते हैं। इसी बीच गांव की स्कूल में एक शिक्षिका की नियुक्ति होने पर वह इस अंधविश्वास को दूर करते हुए ग्रामीणों को उस हकीकत से भी रूबरू कराती है। शिक्षिका द्वारा जब इस ग्रामीणों से इस अंधविश्वास को दूर किया जाता है तो ग्रामीण भी शिक्षिका के प्रति आभार जताते हैं। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय श्रीकोट के छात्र-छात्रा बाल कलाकारों द्वारा इस नाटक में अपने अभिनय का शानदार प्रदर्शन किया गया। भावना, गौरी, रूबी, ममता, सिमरन, अंजली, दिव्या, शिवानी, विजय, तृप्ति और गोपाल आदि छात्र-छात्रा बाल कलाकारों ने नाटक में अपनी भूमिका अदा की। कार्यक्रम का संचालन एमए की छात्रा गंगा कुमारी द्वारा किया गया।